नाइजीरिया। अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में 7 दिन में दूसरा बड़ा हादसा हुआ है। एक बार फिर भगदड़ मची है, जिसमें 10 लोग मारे गए। मरने वालों में 4 बच्चे भी शामिल हैं। दरअसल, नाइजीरिया में इस समय आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहा है। लोगों के सामने गुजर बसर का संकट है।
सरकार के आदेशानुसार, NGO, चर्चा और आर्थिक रूप से संपन्न लोग क्रिसमस से पहले चैरिटी इवेंट कर रहे हैं। इनमें लोगों को खाने-पीने का सामान और कपड़े बांटे जा रहे हैं। ऐसे ही एक कार्यक्रम में आए लोगों की भीड़ इतनी बेकाबू हो गई कि अफरा तफरी मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे और पैरों तले कुचले जाने से उनकी मौत हो गई। इस तरह क्रिसमस के जश्न की खुशियां एक झटके में मातम में बदल गई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नाइजीरिया की राजनधानी अबूजा के मैतामा में होली ट्रिनिटी कैथोलिक चर्च में भगदड़ मची। चर्च में क्रिसमस के मौके पर चैरिटी इवेंट का आयोजन किया गया था। भारतीय समयानुसार कार्यक्रम सुबह 7 बजे शुरू होना था, लेकिन लोग सुबह 4 बजे ही जुटने लगे थे। चर्चा में एक ही दरवाजा होने के कारण लोग फंस गए। खाने-पीने का सामान और कपड़े लेने की होड़ में धक्का मुक्की हो गई।
इसके चलते अफरा तफरी मचने से लोगों गिरे और पैरों तले कुचले गए। भगदड़ की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। बचाव दलों ने चर्च से 1000 से अधिक लोगों को निकाला। 10 लोगों की लाशें बरामद हुईं और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां स्टाफ की कमी के कारण लोग मदद के लिए बिलखते नजर आए। सरकार ने इस हादसे पर दुख व्यक्त किया।
पुलिस प्रवक्ता जोसेफिन एडेह ने मीडिया को बयान जारी किया। मैतामा स्थित होली ट्रिनिटी कैथोलिक चर्च में क्रिसमस सेलिब्रेशन प्रोग्राम में भगदड़ मची। खाने-पीने का सामान और कपड़े इस प्रोग्राम में बांटे जाने थे, जिसके लिए जरूरत से ज्यादा लोग चर्चा पहुंचे। कैथोलिक सचिवालय के प्रवक्ता पाद्रे माइक न्सिकक उमोह ने बताया कि करीब 3000 लोग कार्यक्रम में आए थे। इस हादसे के बाद देशभर में चर्च में होने वाले क्रिसमस प्रोग्राम रद्द कर दिए गए हैं।
बता दें कि नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला टीनुबू ने इस हादसे में दुख जताया और बताया कि बुधवार को भी दक्षिण-पश्चिमी शहर इबादान में स्कूल में भगदड़ मची थी, जिसमें करीब 35 लोग मारे गए थे। राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों से अपील है कि वे अपने-अपने इलाके में जुटने वाली भीड़ पर अंकुश लगाए और प्रोटोकॉल के तहत कार्यक्रम कराएं।





