उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के रहने वाले 104 वर्षीय लंकन को 43 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। लंकन वर्ष 1982 से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे और 20 मई 2025 को कौशांबी जिला जेल से रिहाई पाई। लंकन का जन्म दस्तावेजों के अनुसार 4 जनवरी 1921 को हुआ था, और अब वे संभवतः प्रदेश के सबसे वृद्ध कैदी के रूप में दर्ज हो चुके हैं। यह मामला वर्ष 1977 का है, जब 16 अगस्त को दो पक्षों में हुए विवाद के दौरान प्रभु सरोज नामक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। हत्या के इस मामले में पुलिस ने लंकन और उनके तीन अन्य साथियों को गिरफ्तार किया था। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद वर्ष 1982 में प्रयागराज जिला न्यायालय ने चारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सजा के खिलाफ लंकन सहित सभी आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान तीन आरोपियों की मृत्यु हो गई। लंकन ही एकमात्र जीवित बचे, और अंततः 2 मई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले से बरी कर दिया। 20 मई को लंकन को औपचारिक रूप से जेल से रिहा किया गया। जेल प्रशासन ने उन्हें उनकी बेटी के सुपुर्द कर दिया, जो कौशांबी जिले के शरईरा इलाके में रहती हैं। लंकन की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए यह निर्णय राज्य के प्रशासन के लिए भी एक मानवीय कदम माना जा रहा है।
Author: Sweta Sharma
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