योग, तपस्या और सादगी का प्रतीक माने जाने वाले पद्मश्री योग गुरु शिवानंद बाबा का निधन हो गया है। वे 128 वर्ष के थे। बाबा का अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के वाराणसी में किया जाएगा, जहां वे लंबे समय से निवास कर रहे थे। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है।
बचपन से ही आध्यात्म और योग के मार्ग पर चलने वाले बाबा शिवानंद ने मात्र 6 साल की उम्र से योग का अभ्यास शुरू कर दिया था। उनके जीवन की सबसे अनोखी बात यह थी कि उन्होंने मात्र 4 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया था और फिर तपस्वी जीवन को अपना लिया।

शिवानंद बाबा हमेशा सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। वे आधा पेट भोजन करने में विश्वास रखते थे और अत्यधिक संयमित दिनचर्या का पालन करते थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई बीमारी नहीं झेली, जो उनकी मजबूत इच्छाशक्ति, अनुशासन और योग-संयम का प्रमाण माना जाता है।
भारत सरकार ने उनके योगदान और विलक्षण जीवनशैली को देखते हुए उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया था। बाबा का जीवन देश के करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है, जो आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली में मानसिक और शारीरिक संतुलन की तलाश कर रहे हैं।
उनके निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया, जिसने भारत की योग परंपरा और जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं को जीवंत बनाए रखा।
Author: Sweta Sharma
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