निश्चय टाइम्स, डेस्क। केन्द्रीय संचार एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने आज वैश्विक निवेशकों से “भारत के उत्थान की गाथा का सह-लेखन करने” का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले दशक में देश में हुआ बदलाव मानसिकता में आए एक गहरे परिवर्तन से उपजा है। विशाखापत्तनम में आयोजित भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) साझेदारी शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन की गरिमामयी उपस्थिति में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सोची-समझी नीति, दृढ़ कार्यान्वयन और उद्यमशीलता की ऊर्जा का परिणाम है।
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने दूरसंचार घटकों की मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अवसर पर भी प्रकाश डाला और आश्वासन दिया कि संचार मंत्रालय तेजी से अनुमोदन देने और नए निवेशों का समर्थन करने के लिए तैयार है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में निवेश का मतलब दुनिया के सबसे बड़े उभरते मध्यम वर्ग के साथ जुड़ना और उस विकास गाथा का हिस्सा बनना है, जो दशकों तक वैश्विक व्यापार को आकार देगी। उन्होंने कहा, “भारत मात्र ज्वार की लहरों पर सवार ही नहीं है, बल्कि भारत खुद ही ज्वार है।” उन्होंने उद्योग जगत से भारत के आर्थिक उत्थान के अगले अध्याय को आकार देने में भागीदार बनने का आह्वान किया।
केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि भारत लाइसेंस राज की मानसिकता से निकलकर विश्वास-प्रथम की मानसिकता वाली दिशा में आगे बढ़ गया है तथा उद्यमियों को संदेह की दृष्टि से देखने के बजाय उन्हें राष्ट्र-निर्माता के रूप में सम्मान देने लगा है।
उन्होंने प्रमुख सुधारों – बुनियादी ढांचे से संबंधित 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश, 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर की पीएलआई योजनाएं, सरलीकृत श्रम कानून, पूर्वव्यापी कराधान की समाप्ति, जीएसटी आधारित राष्ट्रीय बाजार एकीकरण और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता – पर प्रकाश डाला। इन सुधारों ने भारत को एक उपभोक्ता से हटकर एक भरोसेमंद वैश्विक निर्माता एवं भागीदार में बदल दिया है।
साझेदारी शिखर सम्मेलन के मेज़बान राज्य के बारे में बात करते हुए, डॉ. चंद्रशेखर ने आंध्र प्रदेश को देश के सबसे आशाजनक निवेश स्थलों में से एक बताया और मज़बूत औद्योगिक इकोसिस्टम के निर्माण का श्रेय मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को दिया। उन्होंने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के केन्द्र – आईटी के लिए साइबराबाद, उद्योग एवं वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के लिए विशाखापत्तनम, ऑटोमोबाइल के लिए अनंतपुर और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए तिरुपति – के रूप में उभरने का उल्लेख किया, जिसे जीनोम वैली जैसी पहलों का समर्थन प्राप्त है और जिसने वैश्विक निवेशकों के विश्वास को मजबूत किया है। उन्होंने आंध्र प्रदेश की विभिन्न खूबियों पर भी ज़ोर दिया, जिनमें छह प्रमुख बंदरगाह, तैयार औद्योगिक भूमि बैंक, नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाएं और गति व सुविधा पर केन्द्रित शासन मॉडल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि श्री नारा लोकेश और टीजी भरत जैसे युवा मंत्रियों की सक्रियता के कारण राज्य न केवल निवेश के लिए तैयार है, बल्कि उसके लिए उत्सुक भी है।





