नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर प्रकरण से जुड़े धनशोधन मामले में कथित बिचौलिए और ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत याचिका का विरोध किया।
नयायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा के समक्ष पेश होते हुए ईडी के वकील ने कहा कि जेम्स के भागने का खतरा है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसे राहत नहीं दी जा सकती। कथित घोटाला अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद से संबंधित है।
आरोपी के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने की संभावना नहीं है और यदि जेम्स को दोषी ठहराया भी गया तो उसे अधिकतम सात वर्ष की जेल की सजा दी जा सकती है, जबकि वह पहले ही छह वर्ष जेल में बिता चुका है। अदालत इस मामले की सुनवाई जनवरी, 2025 में करेगी।
जेम्स को दिसंबर, 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
जून 2016 में जेम्स के खिलाफ दायर ईडी के आरोपपत्र में आरोप लगाया गया था कि उसे अगस्ता वेस्टलैंड से लगभग 225 करोड़ रुपये मिले थे।
भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में उच्च न्यायालय में क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत अर्जी का विरोध किया है। क्रिश्चियन मिशेल जेम्स, जिन्हें अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में मुख्य आरोपी माना जाता है, पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को घूस दी थी।
ईडी ने अदालत में तर्क दिया कि मिशेल जेम्स के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या सबूतों को नष्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, ईडी ने यह भी कहा कि जमानत मिलने के बाद मिशेल जेम्स का देश छोड़ने का खतरा है, क्योंकि उनके पास विदेश में भागने की संभावना है।
इस मामले में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के संदर्भ में उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है, जिसमें कई उच्च पदस्थ अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के नाम जुड़े हुए हैं।
क्रिश्चियन मिशेल जेम्स, जो एक ब्रिटिश नागरिक हैं, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं। इस घोटाले में आरोप है कि वेस्टलैंड कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी ताकि भारत सरकार से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति का अनुबंध प्राप्त किया जा सके। मिशेल जेम्स पर आरोप है कि वह इस घोटाले में मध्यस्थ के रूप में काम कर रहे थे और भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दिलाने में शामिल थे।
मिशेल जेम्स को 2018 में दुबई से भारत प्रत्यर्पित किया गया था, और वह तब से भारतीय जेल में बंद हैं। वह फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में हिरासत में हैं।
ईडी ने उच्च न्यायालय में यह तर्क दिया है कि जमानत पर रिहाई से उन्हें यह लाभ मिल सकता है कि वह मामले से संबंधित गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसके अलावा, एजेंसी ने कहा कि मिशेल जेम्स के खिलाफ पुख्ता प्रमाण हैं, और जमानत मिलने पर वह कोर्ट की कार्यवाही में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
ईडी ने यह भी कहा कि मिशेल जेम्स का विदेश में रहने का इतिहास है और अगर उन्हें जमानत दी जाती है, तो वह भारत छोड़ सकते हैं, जिससे जांच पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत अर्जी पर उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है, और इस मामले में फैसला आने पर यह तय होगा कि उन्हें जमानत दी जाती है या नहीं। इस मामले में भारतीय राजनीति और रक्षा क्षेत्र के कई उच्च अधिकारियों के नाम जुड़े हुए हैं, जिससे यह केस विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।
