लखनऊ, उत्तर प्रदेश: पिछले साल प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को निर्देश दिए थे कि गरीबों, आश्रयहीनों और निराश्रितों को ठंड और शीतलहर से बचाने के लिए स्थायी और अस्थायी रैन बसेरों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इन रैन बसेरों में मूलभूत सुविधाओं जैसे साफ-सफाई, गर्म कपड़े, स्वच्छ बिस्तर, कंबल, गर्म पानी के लिए गीजर, खाने की व्यवस्था और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे जैसी व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखने की बात कही गई थी।
लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की विफलता और स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते सिविल अस्पताल के रैन बसेरा में हालात इन दावों के बिल्कुल विपरीत नज़र आए। सिविल अस्पताल का रैन बसेरा, जिसे मरीजों और उनके परिजनों को ठंड से राहत देने के उद्देश्य से संचालित किया गया था, अब भ्रष्टाचार और लापरवाही का गढ़ बन गया है। हाल में किए गए एक निरीक्षण में पता चला कि रैन बसेरे की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले इंचार्ज पुत्तीलाल अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह बेखबर हैं, जिससे यह जगह बदहाल स्थिति में पहुंच चुकी है।
सिविल अस्पताल के रैन बसेरे में ठंड से बचने के लिए आवश्यक रजाई और कंबल जैसी बुनियादी सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है। यह स्थिति न केवल सरकार की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति उदासीनता को भी दर्शाती है। वहां मौजूद गद्दे इतने पुराने और बदबूदार हो चुके हैं कि कोई भी व्यक्ति वहां रुकने को मजबूर नहीं होता।
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गद्दों की दुर्गंध और उनकी दयनीय हालत इस बात का प्रमाण है कि इनकी समय-समय पर मरम्मत या सफाई का कोई प्रावधान नहीं किया गया। ऐसी बदहाल व्यवस्था में मरीजों के परिजन, जो पहले से ही तनावग्रस्त होते हैं, अपने स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त जोखिम उठाने को विवश हैं। इन कमियों ने रैन बसेरे को मूल उद्देश्य से भटका दिया है, जो जरूरतमंदों को राहत देने के बजाय उन्हें और अधिक परेशानियों में डाल रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की विफलता और लापरवाही
रैन बसेरे में सफाई व्यवस्था का भी अभाव है, जिससे गंदगी और संक्रमण का खतरा बना रहता है। मरीजों के परिजनों के लिए बनाई गई इस सुविधा का उपयोग बाहरी संविदा कर्मियों और अस्पताल के जान-पहचान वालों को ठहराने के लिए किया जा रहा है, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि गरीब और जरूरतमंद लोगों के अधिकारों का हनन भी है। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के दावों के बावजूद, सिविल अस्पताल जैसे प्रमुख केंद्रों की बदहाली उनके प्रशासनिक नियंत्रण की कमजोरियों को दिखाती है। किचन में भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है और यह रैन बसेरा अब निजी स्वार्थों के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह सब सरकार और स्वास्थ्य विभाग की विफलता को उजागर करता है।
नगर विकास मंत्री के निर्देशों का अनुपालन न होना
नगर विकास मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश भी इस स्थिति को सुधारने में नाकाफी साबित हुए हैं। रैन बसेरों की देखभाल और निगरानी के लिए गठित की गई समितियां केवल कागजों पर ही सक्रिय दिखाई देती हैं। इन खामियों और भ्रष्टाचार के कारण स्वास्थ्य विभाग में अपराध को बढ़ावा मिलता है। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के अधीन कार्यरत स्वास्थ्य विभाग की यह अनदेखी न केवल प्रशासन की विफलता को दर्शाती है बल्कि भ्रष्टाचार को पनपने का अवसर देती है।
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भ्रष्टाचार से जूझता स्वास्थ्य विभाग
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के रैन बसेरा की खामियां न केवल प्रशासन की विफलता को दर्शाती हैं, बल्कि गरीब और जरूरतमंद लोगों के प्रति उदासीनता को भी उजागर करती हैं। यह स्पष्ट करता है कि स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की नीतियां और उनकी निगरानी व्यवस्था कितनी कमजोर हैं। प्रदेश सरकार और संबंधित विभागों को इस मामले को प्राथमिकता से संज्ञान में लेकर तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई और निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ-साथ जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है, ताकि ऐसे रैन बसेरों की मूल भावना को बचाया जा सके।
