नई दिल्ली। बांग्लादेश अपनी वायुसेना को ताकतवर और आधुनिक बनाने की कोशिशों में लगा है। इसके लिए वह चीन की तरफ देख रहा है। हाल ही में बांग्लादेश ने चीन से फाइटर जेट खरीदने का निर्णय लिया है, जो दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता माना जा रहा है। यह कदम बांग्लादेश की सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कदम है, और यह उसकी रणनीतिक जरूरतों के अनुसार लिया गया है। बांग्लादेश और चीन के बीच इस रक्षा सौदे को लेकर दोनों देशों ने हाल ही में पुष्टि की है कि बांग्लादेश 24 चीनी “जे-10 सी” मल्टी-रोल फाइटर जेट खरीदने जा रहा है।
भारतीय रक्षा अनुसंधान विंग (आईडीआरडब्ल्यू) के मुताबिक, बांग्लादेश एयर फोर्स के एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान ने कहा, “हम फाइटर जेट और हमलावर हेलीकॉप्टर हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।” रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश चीन के चेंगदू जे-10सी मल्टीरोल फाइटर जेट खरीद सकता है। इसमें सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ढाका की योजना पहले चरण में 16 जे-10सी लड़ाकू विमान खरीदने की है।
यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। वहीं अल्पसंख्यकों विशेष तौर से हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है चीन और पाकिस्तान से बढ़ती बांग्लादेश की नजदीकियां भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं।
जे-10 सी फाइटर जेट चीन का एक अत्याधुनिक युद्धक विमान है, जिसे विशेष रूप से हवा से हवा में लड़ाई, ग्राउंड अटैक, और निगरानी अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान तेज गति, उच्च उड़ान क्षमता, और सटीकता के साथ अपने लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है। बांग्लादेश का यह कदम अपनी वायुसेना को आधुनिकीकरण करने और अपने रक्षा क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, विशेषकर उस क्षेत्र में जहां क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं।
बांग्लादेश का यह निर्णय भारत, पाकिस्तान और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के सैन्य संबंधों को प्रभावित कर सकता है। भारत, जो पहले से ही बांग्लादेश का महत्वपूर्ण सैन्य साझेदार है, ने हाल के वर्षों में अपने रक्षा क्षेत्र को मजबूत किया है, और बांग्लादेश का चीन से यह खरीद निर्णय संभावित रूप से भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में भी देखा जा सकता है। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह निर्णय उनकी सुरक्षा जरूरतों और सामरिक स्वायत्तता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल ने कहा, “यह भारत की सुरक्षा के लिए एक चुनौती है क्योंकि चीन और पाकिस्तान की कोशिश है कि नॉर्थ ईस्ट में दोबारा से अशांति पैदा हो जाए। बांग्लादेश में हालात काफी नाजुक हैं। बड़े पैमाने पर हिंदुओं के खिलाफ विरोध देखा जा रहा है। इसके पीछे अमेरिका की डीप स्टेट, चीन और पाकिस्तान की साजिश है।”
सहगल ने कहा, ‘बांग्लादेश को यह समझना चाहिए की चीन का सामान बहुत खराब होता है, हिंदुस्तान की दुश्मनी उसके लिए बहुत घातक होगी, उसे जब भी कोई समस्या होती है तो हिंदुस्तान पहला मददगार साबित होता है, चीन और पाकिस्तान की सीमा उससे बहुत दूर हैं, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बड़े स्तर पर भारत पर निर्भर है। सबसे बड़ा उद्योग टेक्सटाइस है जिसका कच्चा माल भारत से आता है। भारत उसको एनर्जी, गैज ऑयल सप्लाई करता है, इनमें अगर कटौती होती है तो बांग्लादेश अपने घुटने टेक देगा।
यह समझौता चीन और बांग्लादेश के बीच सैन्य संबंधों को भी मजबूत करेगा। दोनों देशों के बीच पहले से ही रक्षा सहयोग की नींव है, और यह समझौता इसे और प्रगति करेगा। इस सौदे के तहत, बांग्लादेश को न केवल उच्च तकनीकी विमान मिलेंगे, बल्कि इसके साथ-साथ चीन से रक्षा उपकरणों के निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी।
