उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार को समाजवादी पार्टी की बागी विधायक पल्लवी पटेल ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बड़ा हंगामा किया। पल्लवी ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में कथित अनियमितताओं का मामला उठाने का प्रयास किया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी अनुमति नहीं दी। इससे नाराज होकर पल्लवी पटेल ने विधानसभा परिसर में धरना दिया, जो लगभग 8 घंटे तक चला।
क्या हैं पल्लवी पटेल के आरोप?

पल्लवी पटेल, कौशांबी जिले की सिराथू सीट से समाजवादी पार्टी की विधायक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राविधिक शिक्षा विभाग के तहत राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में विभागाध्यक्ष पद पर प्रमोशन के जरिए 250 नियुक्तियां की गई हैं, जो नियमों के खिलाफ हैं।
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उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार यह नियुक्तियां उत्तर प्रदेश चयन सेवा आयोग के जरिए होनी चाहिए थीं।
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आरोप है कि इन नियुक्तियों के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 25 लाख रुपये रिश्वत ली गई, जिससे आरक्षित वर्गों को नुकसान पहुंचा है।
धरना समाप्त कैसे हुआ?
रात 10:30 बजे यूपी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने पल्लवी पटेल को मनाकर उनका धरना समाप्त करवाया।
मामले में जीजा-देवरानी का विवाद
गौरतलब है कि पल्लवी पटेल के आरोप सीधे उनके जीजा और प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल पर हैं। आशीष, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति हैं। आशीष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “राजनीतिक साजिश” करार दिया और कहा कि उन्होंने प्रवक्ताओं को वरिष्ठता के आधार पर विभागाध्यक्ष बनाया है।
आशीष पटेल का बयान
आशीष पटेल ने सोशल मीडिया पर कहा:
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“मेरे खिलाफ साजिश रचकर मेरी राजनीतिक हत्या करने की कोशिश की जा रही है।”
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“अगर प्रधानमंत्री मोदी चाहें, तो मैं तुरंत मंत्री पद से इस्तीफा देने को तैयार हूं।”
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उन्होंने अपने विरोधियों को चेतावनी देते हुए कहा, “कोई कंकड़ फेंकेगा तो जवाब पत्थर से मिलेगा।”
पारिवारिक विवाद की पृष्ठभूमि
पल्लवी और अनुप्रिया पटेल, स्व. सोनेलाल पटेल की बेटियां हैं। पिता की विरासत को लेकर पटेल परिवार में लंबे समय से विवाद चल रहा है।
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अनुप्रिया ने बीजेपी के साथ मिलकर अपना दल (सोनेलाल) पार्टी को अलग खड़ा किया।
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पल्लवी पटेल ने 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सिराथू सीट से चुनाव लड़ा और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराया।
अन्य विधायकों ने भी उठाया मुद्दा
इस मामले पर बीजेपी के तीन विधायकों ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इन विधायकों का कहना है कि अनियमित नियुक्तियों से हर साल 50 करोड़ रुपये का नुकसान होगा और शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
यह मामला सिर्फ एक विधायक और मंत्री के बीच विवाद नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश में आरक्षण और भ्रष्टाचार जैसे अहम मुद्दों को भी उजागर करता है। विधानसभा और परिवार दोनों में खींचतान ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है।
Author: Sweta Sharma
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