उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में एक जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) की लापरवाही का मामला सामने आया है। अधिकारी ने पोषण अभियान के तहत जिला और ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया था, लेकिन खुद शराब के नशे में घर पर सोते पाए गए।
क्या है मामला?
डीपीओ धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने 22 नवंबर को भर्ती प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों को विकास भवन में बुलाया। सभी अभ्यर्थी समय पर पहुंच गए, लेकिन डीपीओ नहीं पहुंचे। काफी देर तक इंतजार करने के बाद जब जांच की गई, तो पता चला कि अधिकारी अपने घर पर शराब के नशे में सो रहे थे।
जांच में हुआ खुलासा
मजिस्ट्रेट की देखरेख में अधिकारी को अस्पताल भेजा गया, जहां मेडिकल जांच में पुष्टि हुई कि डीपीओ ने भारी मात्रा में शराब का सेवन किया था। इस घटना के बाद डीएम ने मामले की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेज दी।
डीपीओ पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए डीपीओ धर्मेंद्र कुमार मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार लीना जौहरी ने निलंबन का आदेश जारी किया और धर्मेंद्र कुमार को आईसीडीएस निदेशालय से सम्बद्ध कर दिया।
आरोप और विभागीय रिपोर्ट
डीएम द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में डीपीओ पर निम्नलिखित आरोप लगाए गए:
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अनुशासनहीनता
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सुरक्षाचारी आचरण का उल्लंघन
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सरकारी दायित्वों के प्रति लापरवाही
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विभागीय योजनाओं को प्रभावित करना
विभाग की किरकिरी
घटना के बाद से ही विभाग की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस लापरवाही से सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी चर्चा तेज हो गई है।
यह मामला न केवल सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि सरकारी योजनाओं के प्रति उदासीनता की ओर भी इशारा करता है। सरकार द्वारा त्वरित कार्रवाई प्रशंसनीय है, लेकिन इस घटना ने विभागीय अनुशासन और जवाबदेही को लेकर गहरी चिंता पैदा की है।

Author: Sweta Sharma
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