हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को पुलिस विधेयक पारित कर दिया गया, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान बिना राज्य सरकार की अनुमति के गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि रिश्वतखोरी और हत्या जैसे गंभीर मामलों में यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
विपक्ष ने जताई आपत्ति
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा और त्रिलोक जम्वाल ने इस संशोधन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ सकता है और पुलिस अधिकारी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाएंगे। पोक्सो जैसे मामलों में भी गिरफ्तारी से पहले अनुमति की जरूरत पर उन्होंने आपत्ति जताई।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह प्रावधान केवल उन मामलों में लागू होगा, जहां अधिकारी द्वेष भावना से कार्रवाई कर रहे हों। उन्होंने कहा, “इसका उद्देश्य कर्मचारियों को द्वेषपूर्ण कार्रवाइयों से बचाना है।”
एसओपी के तहत स्पष्ट होंगी व्यवस्थाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस विधेयक के तहत एक एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर) तैयार की जाएगी, जिसमें गिरफ्तारी के प्रावधान स्पष्ट होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा कर्मचारियों के हितों का ध्यान नहीं रखती, जिससे उनकी सोच जाहिर होती है।
जिला परिषद वार्ड पर नई व्यवस्था
पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी शीतकालीन सत्र में हिमाचल प्रदेश पंचायती राज संशोधन विधेयक पारित किया। इसके तहत अब 25,000 की न्यूनतम जनसंख्या से कम होने पर भी जिला परिषद वार्ड बनाए जा सकेंगे।
प्रमुख बिंदु:
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यह संशोधन जनजातीय क्षेत्रों में जिला परिषद वार्ड के गठन में मदद करेगा।
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भाजपा ने इस प्रस्ताव पर न्यूनतम जनसंख्या तय न करने पर आपत्ति जताई।
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विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
सरकार के अनुसार, ये विधेयक प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाएंगे और कर्मचारी हितों की रक्षा करेंगे। वहीं, विपक्ष इसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला कदम मान रहा है।
Author: Sweta Sharma
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