मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के शामिल होने से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सम्राट चौधरी का यह कदम एनडीए में एकजुटता का संदेश देने और नीतीश कुमार के नेतृत्व के प्रति विश्वास प्रकट करने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेताओं का कहना है कि ब्रांड नीतीश से इतर जाने का सवाल ही नहीं उठता है।
नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा में सम्राट चौधरी का शामिल होना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा में सम्राट चौधरी का शामिल होना राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने जब सोमवार से बेतिया जिले से अपनी यात्रा शुरू की थी, तब भाजपा या एनडीए के अन्य घटक दलों से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ था। हालांकि, एक महिला मंत्री की उपस्थिति एक स्थान पर जरूर हुई थी। लेकिन जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में कौन नेतृत्व करेगा, यह भाजपा और जदयू मिलकर तय करेंगे, तब स्थिति बदल गई।
भाजपा का रुख और नीतीश कुमार का नेतृत्व
अमित शाह के इस बयान के बाद एनडीए में विभिन्न चर्चाएं शुरू हो गईं। पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे, और भाजपा नेता नीतीश मिश्रा आयोजन के कर्ता-धर्ता रहे। इस आयोजन के दो दिन बाद मुख्यमंत्री ने अपनी प्रगति यात्रा शुरू की। यह संकेत दिया गया कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मांग की।
जदयू की स्थिति और एनडीए का एकजुटता संदेश
जदयू नेताओं ने स्पष्ट किया है कि ब्रांड नीतीश से इतर जाने का कोई सवाल ही नहीं है। उनके कार्यकाल में नीतीश कुमार ने बिहार के विकास के लिए उल्लेखनीय काम किए हैं। इस बीच एनडीए के अन्य घटक दल भी नीतीश कुमार के नेतृत्व को समर्थन दे रहे हैं। सम्राट चौधरी के प्रगति यात्रा में शामिल होने से एनडीए में एकजुटता की झलक देखने को मिलती है।
इस प्रकार, बिहार में राजनीतिक स्थिति काफी संवेदनशील बनी हुई है, और आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हो रही है।
Author: Sweta Sharma
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