प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में संगम तट पर गीतानंद गिरी जी महाराज की ने एक अनोखा संकल्प लिया है, जिसके तहत उन्हें श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय बना रही है। यह संकल्प न केवल एक धार्मिक कार्य है, बल्कि एक गहरी साधना और तपस्या का प्रतीक भी है। उनके इस संकल्प ने न केवल उनके अनुयायियों को बल्कि देशभर के भक्तों को भी प्रभावित किया है।
गीतानंद गिरी महाराज ने अपने शरीर पर सवा दो लाख से ज्यादा रुद्राक्ष धारण कर रखे हैं। बातचीत में आवाहन अखाड़ा हरियाणा शाखा के सचिव गीतानंद महाराज ने बताया कि 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ के दौरान उन्होंने एक अनूठा संकल्प लिया था। उनके संकल्प को छह साल ही हुए हैं और रुद्राक्ष की संख्या आज सवा दो लाख के ऊपर पहुंच चुकी है।
गीतानंद गिरी महाराज का मानना है कि रुद्राक्ष का हर बीज एक दिव्य ऊर्जा का स्रोत होता है, जो मानसिक शांति, भक्ति और तपस्या के मार्ग को सरल बनाता है। 45 किलो रुद्राक्ष धारण करना एक कठिन साधना है, जो शरीर, मन और आत्मा की परिपक्वता का प्रतीक माना जाता है। यह संकल्प महाराज ने विशेष रूप से भगवान शिव के प्रति अपनी असीम श्रद्धा और भक्ति को दर्शाने के लिए लिया है।
गीतानंद महाराज बताते हैं कि इन रुद्राक्ष का वजन 45 किलोग्राम से अधिक है। अभी उनके संकल्प में छह साल और बाकी हैं। ऐसे में रुद्राक्ष का वजन और बढ़ेगा। क्या गीतानंद महाराज 24 घंटे इन रुद्राक्ष को धारण करते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है।
दिन में 12 घंटे तक वह इन रुद्राक्ष को धारण करते हैं। यानी सुबह पांच बचे रुद्राक्ष धारण करने के बाद उसे शाम पांच बजे उतार देते हैं। जब तक रुद्राक्ष शरीर पर रहता है तब तक वो बेहद हल्का भोजन ग्रहण करते हैं और तपस्या करते हैं।
महाराज ने इस संकल्प को निभाने के लिए कई महीनों तक कठिन तपस्या की और लगातार ध्यान और साधना में लीन रहे। उनका उद्देश्य न केवल अपने आध्यात्मिक जीवन को उन्नत करना था, बल्कि समाज में भक्ति और धर्म के प्रति जागरूकता फैलाना भी था।
इस संकल्प के तहत महाराज ने रुद्राक्ष की माला को अपने शरीर पर पहना और कई घंटे तक उसे धारण किए रखा। रुद्राक्ष की माला का वजन इतना अधिक था कि यह एक शारीरिक चुनौती बन गया था, लेकिन महाराज ने अपनी संकल्प शक्ति से इसे पूरी तरह से निभाया।
गीतानंद गिरी महाराज का यह अनोखा संकल्प न केवल उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि यह साबित करता है कि यदि इंसान में आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति हो, तो वह किसी भी कठिन कार्य को संभव बना सकता है। इस प्रयास के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया है कि आध्यात्मिकता का मार्ग कठिन जरूर है, लेकिन अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी बाधा नहीं रोक सकती।
महाराज का यह संकल्प भक्तों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, और लोग उनकी श्रद्धा और तपस्या को सराह रहे हैं। उनके अनुयायी इस उदाहरण से प्रेरित होकर अपने जीवन में साधना और तपस्या के महत्व को समझ रहे हैं।
