ढाका। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से मुहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार कट्टरवादी ताकतों, आतंकियों और चरमपंथी ग्रुप्स पर मेहरबान है। अब यूनुस ने बांग्लादेश सेना के बर्खास्त मेजर सैयद जिया-उल-हक को बरी करने की प्रोसेस कथित तौर पर शुरू कर दी है। वह अलकायदा से जुड़ा हुआ है और अमेरिका द्वारा वांछित है।
अमेरिका ने साल 2021 में,हक (उर्फ मेजर जिया) और अकरम हुसैन के ऊपर 5 मिलियन डॉलर यानी भारतीय करेंसी में 37. 5 करोड़ रूपये का इनाम रखा था। ये दोनों चार दीगर लोगों के साथ ढाका में फरवरी 2015 में हुए आतंकवादी हमले में शामिल पाए गए थे। इसमें अमेरिकी नागरिक अविजित रॉय की मौत हो गई थी और उनकी बीवी रफीदा बोन्या अहमद गंभीर रूप से जख्मी हो गई थीं।
अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, बांग्लादेश में स्थित अलकायदा से इंस्पायर्ड आतंकवादी समूह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसके बाद जिया पाकिस्तान भाग गया था उसकी खोज बांग्लादेशी अफसर भी कर रहे थे।
जागृति पब्लिकेशन के फोयसल अरेफिन दीपोन और कलाबागान के जुलहास-टोनॉय के मर्डर के मामलों में 2016 में उसे खोजने के लिए 2 मिलियन टका का इनाम का ऐलान किया गया था। वहीं, इससे पहले साल 2011 में उसने एक असफल तख्तापलट में भी मुख्य भूमिका निभाई थी।
बांग्लादेश ने हाल ही में वीजा चाहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मंजूरी की पॉलिसी में व्यापक रूप से ढील देने की घोषणा की थी। इसके चलते कुछ सप्ताह पहले जिया को पाकिस्तानी पासपोर्ट पर ढाका लौटने में सुविधा हुई।
रिपोर्ट में कहा गया कि अपनी वापसी के फौरन बाद जिया ने औपचारिक रूप से सभी इल्जामों से बरी होने और 29 दिसंबर, 2024 को ‘मोस्ट-वांटेड’ लिस्ट से हटाए जाने के लिए एप्लीकेशन दिया है। उसने सभी दोषसिद्धियों को कैंसिल करने और इनाम वापस लेने की मांग की।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रीमिनल ट्रिब्यूनल (आईसीटी-बीडी) की गुमशुदगी कमेटी के चीफ न्यायमूर्ति मैनुल इस्लाम चौधरी, जो पूरे मामले की जांच करेंगे वो जिया के रिश्ते में ससुर हैं। वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर यह इल्जाम लगातार लग रहे हैं कि वह कट्टरवादी ताकतों को हवा दे रही है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद देश में अल्पसंख्यकों और उनके मजहबी स्थलों को भी निशाना बनाने की खबरें लगातार आ रही हैं।
बांग्लादेश के जाने-माने जर्नलिस्ट सलाह उद्दीन शोएब चौधरी ने बीएलआईटीजेड में लिखा, “यूनुस एडमिनिस्ट्रेशन ने पहले भी अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के नेता जशीमुद्दीन रहमानी जैसे अन्य इस्लामवादी लोगों को बरी किया है। अपनी रिहाई के बाद रहमानी ने सार्वजनिक रूप से भारत में जिहाद और ‘गजवा-ए-हिंद’ को लागू करने का आह्वान किया। इन कार्रवाइयों ने बांग्लादेश की आतंकवाद-रोधी प्रतिबद्धता के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं और देश के चरमपंथी गतिविधियों का सेंटर बनने की आशंकाएं पैदा कर दी हैं।”
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूनुस बांग्लादेश को गहरी अराजकता और अव्यवस्था में धकेल रहे हैं, जिससे देश पर गंभीर बैन लग सकते हैं, खासकर इस महीने के आखिर में डोनाल्ड ट्रम्प की अगुआई में वाशिंगटन में नए अमेरिकी प्रशासन के कार्यभार संभालने के बाद।





