अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा और सपा दोनों ही पार्टियों में अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। सपा में टिकट के दावेदार रहे सूरज चौधरी ने बगावत कर आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं, भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान के नामांकन में कई वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति ने पार्टी के अंदरखाने खेमेबाजी के संकेत दिए हैं।
भाजपा के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने नामांकन के लिए पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया था, लेकिन दोनों ही नेता कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। भाजपा के जिला महामंत्री राधेश्याम त्यागी ने भी नामांकन से दूरी बनाए रखी। इससे भाजपा में टिकट न मिलने से उपजे असंतोष की चर्चा तेज हो गई है।
भाजपा के तीनों विधायकों—वेद प्रकाश गुप्ता, रामचंद्र यादव और डॉ. अमित सिंह चौहान—ने न तो सोशल मीडिया पर प्रत्याशी को बधाई दी और न ही नामांकन के पोस्टरों में उनकी तस्वीरें नजर आईं। इससे पार्टी के भीतर खेमेबाजी और गुटबाजी स्पष्ट हो रही है।
दूसरी ओर, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की बैठक के बाद सपा के वरिष्ठ नेताओं ने प्रत्याशी अजीत प्रसाद के नामांकन में एकजुटता तो दिखाई, लेकिन अंदरूनी असंतोष अब भी बना हुआ है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मिल्कीपुर में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। हालांकि, दोनों दलों की आंतरिक कलह चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर रही है। अब देखना यह है कि जनता किस पार्टी को समर्थन देती है और कौन बाजी मारता है।
Author: Sweta Sharma
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