बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना को लेकर सियासत गर्म हो गई है। राहुल गांधी ने बिहार दौरे के दौरान राजद के बड़े चुनावी मुद्दे पर सवाल खड़े करते हुए जातीय जनगणना को फर्जी करार दिया। यह बयान महागठबंधन की एकता और रणनीति पर असर डाल सकता है।
शनिवार को राहुल गांधी ने राबड़ी देवी के आवास पर राजद प्रमुख लालू यादव से मुलाकात की। हालांकि, इसके पहले उन्होंने जातीय जनगणना पर टिप्पणी करते हुए इसे बेकार और फर्जी बताया। यह बयान तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो बिहार में जातीय जनगणना को अपनी उपलब्धि और चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा मानते आए हैं।

महागठबंधन की रणनीति पर सवाल
तेजस्वी यादव ने बार-बार यह दावा किया है कि उनके प्रयासों के कारण ही बिहार में जातीय जनगणना संभव हो सकी। उन्होंने इसे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य एजेंडा बनाया था। लेकिन राहुल गांधी के बयान ने इस मुद्दे को कमजोर कर दिया है। राहुल के अनुसार, जातीय जनगणना में सही डेटा नहीं जुटाया गया, जिससे इसके आधार पर कोई ठोस कदम उठाना मुश्किल है।
राजनीतिक प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह बयान भाजपा को एक बड़ा हथियार दे सकता है। भाजपा अब महागठबंधन के भीतर विरोधाभास को उजागर करने का प्रयास कर सकती है।

जातीय गोलबंदी बिहार की राजनीति का एक अहम हिस्सा है। ऐसे में राहुल का बयान राजद की रणनीति को कमजोर कर सकता है और महागठबंधन की एकता पर भी सवाल खड़े कर सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि तेजस्वी यादव इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं।
Author: Sweta Sharma
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