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आतंकवाद का कैंसर अब पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था को भी निगल रहा है: जयशंकर

नई दिल्ली। भारत के पड़ोस में तेजी से बढ़ते आतंकवाद के खतरे के मध्य विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर ने पाकिस्तान पर बेहद कड़े अंदाज में हमला बोला। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई में आयोजित 19वें नानी ए. पालकीवाला स्मारक व्याख्यान को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थक है। लेकिन अब यह आतंकवाद का कैंसर खुद उसे और उसकी राजनीतिक संरचना को ही खा रहा है। हमारे पड़ोस में सीमापार आतंकवाद को समर्थन देने की वजह से पाकिस्तान एक अपवाद के रूप में मौजूद है।

जयशंकर का यह बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पाकिस्तान को उसके द्वारा पाले-पोसे जा रहे ‘आतंकवाद को जल्द खत्म करना पड़ेगा और जम्मू-कश्मीर अपने माथे की मुकुट मणि यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बिना अधूरा है वाले हालिया बयान के तुरंत बाद सामने आया है। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में पाकिस्तान के अलावा भारत के बाकी पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर भी प्रकाश डाला। भारतीय विदेश नीति के दायरे में शामिल क्षेत्रों के व्यापक विस्तार के बारे में भी उन्होंने बात की और बीते दशक में कूटनीति के प्रति भारत के दृष्टिकोण को सबके सामने रखा।

विदेश मंत्री ने बाजार के संसाधनों और वित्तीय संस्थानों के हथियारीकरण से दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर कहा कि इस समय पर भारत के सामने चुनौती अपने उत्थान की है। हमें अपने घरेलू विकास और आधुनिकीकरण में तेजी लानी होगी। साथ ही बाहरी जोखिम को भी सीमित करना पड़ेगा। विनिर्माण, खाद्य-स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, भारत को ऐसी गहरी ताकत विकसित करनी पड़ेगी जो हमें अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी। भारत भले ही गैर-पश्चिमी खेमे में हो। लेकिन उसके रणनीतिक हित यह सुनिश्चित करते हैं वो पश्चिम विरोधी नहीं है। रणनीतिक स्वायत्तता का आह्वान करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत को महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के विकास में पिछड़ना नहीं चाहिए। खुलेपन की परंपरा के साथ आगे बढ़ते हुए भारत अपनी स्थिति को विश्वबंधु, विश्वसनीय भागीदार और एक भरोसेमंद दोस्त के रूप में देखता है।

उन्होंने म्यांमार और अफगानिस्तान के साथ संबंधों को लेकर कहा कि दोनों समाजों के बीच लंबे समय से रिश्ते रहे हैं। लेकिन इसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जो देश हमसे अधिक करीब हैं। उनके हित भी दूर के अन्य देशों से बहुत अलग हैं। भारत के दृष्टिकोण को विदेश मंत्री ने तीन पारस्परिकता के साथ परिभाषित किया। इसमें पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हित शामिल हैं। इंटरनेशनल सोलर अलायंस, सीडीआरआई, ग्लोबल साउथ सम्मेलन, जी-20 की अध्यक्षता और कोरोना काल में दुनिया के तमाम देशों को की गई कोविड टीकों की आपूर्ति ने भारत की साख को मजबूत किया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत ने संकट, कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी के समय पर अपने पड़ोसी देशों की मदद की है। इस दौरान उसकी भूमिका एक प्रकार से बीमा प्रदान करने की थी। वर्ष 2023 में जब बाकी दुनिया ने श्रीलंका से अपना मुंह मोड़ लिया था। तब भारत ने उसे करीब 4 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान की थी।

उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि पड़ोस में राजनीतिक घटनाक्रम जटिल परिस्थितियों को जन्म दे सकते हैं। वर्तमान में बांग्लादेश में ऐसा ही देखने को मिल रहा है। सहयोग और संपर्क में निकटता का हमारा उद्देश्य आखिरकार उक्त आकस्मिक परिस्थितियों से निपटना ही है।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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