मेदिनीपुर। पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में एक्सपायर सलाइन चढ़ाने से हुई मौत के मामले में 12 डॉक्टरों को निलंबित किया जा चुका है। शनिवार शाम को एक और डॉक्टर को निलंबित करने के बाद जूनियर डॉक्टर मेडिकल कॉलेज के अंदर धरने पर बैठ गए।
डॉक्टरों की मांग है कि जब तक पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी) के खिलाफ निलंबन आदेश और एफआईआर वापस नहीं ले ली जाती, तब तक वे धरना जारी रखेंगे।
प्रदर्शनरत एक डॉक्टर ने से बात करते हुए कहा, “इस मामले में सीधे एक नोटिस जारी किया गया कि पीजीटी निलंबित किया जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर कोई गलती पाई जाती है, तो पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। फिर भी अगर चीजें सही नहीं होती हैं, तो विभागीय जांच होती है। इसके बाद अगर इस जांच में कुछ गलत दिखता है, तो प्रिसिपल की जांच होती है। इसके बाद अगर कुछ गलती मिलती है, तो राज्य सरकार निलंबन का आदेश दे सकती है। वो भी सीनियर डॉक्टर को। ट्रेनी डॉक्टरों को सीधे निलंबित नहीं किया जा सकता, वे किसी के अंतर्गत काम करते हैं। यह तो नैसर्गिक नियम है कि यदि आप किसी के अंतर्गत काम कर रहे हैं, तो किसी भी चीज के लिए पहले सीनियर डॉक्टर जिम्मेदार होंगे। हमारे सारे पीजीटी बहुत योग्य हैं। वह पांच साल से ज्यादा की पढ़ाई पूरी करके आए हैं। इसके अलावा उनको 2 से 3 साल का अनुभव भी है। उनके खिलाफ सीधे ऐसी कार्रवाई न्यायसंगत नहीं है।”
उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई नियम के खिलाफ है। हम तब तक धरना करते रहेंगे जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता। डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा की जान को बचाने के लिए पूरी कोशिश की। डॉक्टर बिना सोए कई-कई दिन तक ड्यूटी करते हैं। उनके लिए ऐसी कार्रवाई ठीक नहीं।”





