जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने मणिपुर में भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। नीतीश कुमार की पार्टी का यह कदम राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
क्यों लिया समर्थन वापस?
2022 में JDU ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन हालिया घटनाक्रमों ने दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ा दी। जेडीयू ने मणिपुर के राज्यपाल को औपचारिक पत्र भेजकर सत्तारूढ़ सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की। इसका सीधा असर यह हुआ कि जेडीयू का इकलौता विधायक अब विपक्ष की बेंच पर बैठने वाला है।
पृष्ठभूमि में क्या है?
पिछले साल 2022 में जेडीयू के छह में से पांच विधायकों ने भाजपा का समर्थन कर दिया था, जिससे राज्य में भाजपा की स्थिति मजबूत हुई। हालांकि, जेडीयू के इस कदम को राज्य में भाजपा के वर्चस्व और उसकी नीतियों के प्रति नाराजगी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं
हालांकि, जेडीयू के इस कदम से बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की स्थिरता पर कोई बड़ा खतरा नहीं है। भाजपा मणिपुर विधानसभा में अपने मजबूत बहुमत के बल पर सत्ता पर बने रहने में सक्षम है।
राजनीतिक संदेश
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम जेडीयू के भाजपा के साथ बढ़ते मतभेदों को उजागर करता है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ने पिछले कुछ समय में एनडीए से खुद को अलग करने की रणनीति अपनाई है।
यह राजनीतिक घटनाक्रम आने वाले दिनों में मणिपुर और राष्ट्रीय राजनीति दोनों में अहम भूमिका निभा सकता है।

Author: Sweta Sharma
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