तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एसएलबीसी सुरंग हादसे को पांच दिन बीत चुके हैं। बचाव कार्य में जुटी एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और रैट माइनर्स की टीम सुरंग के अंतिम छोर तक पहुंचने में सफल रही, लेकिन फंसे मजदूरों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढहने से आठ लोग अंदर फंस गए थे। हादसे के बाद से ही राहत एवं बचाव कार्य जारी है, लेकिन कीचड़ और मलबे की वजह से टीमें सुरंग के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पा रही थीं। अब विशेषज्ञों की 20 सदस्यीय टीम वहां तक पहुंचने में सफल रही, लेकिन भारी मलबे के कारण आगे बढ़ना चुनौती बना हुआ है।
नागरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ ने बताया कि टीम ने इलाके की जांच की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम भी मिट्टी की ताकत और संरचना की जांच कर रही है, ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके।
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22 फरवरी की सुबह टनल में 50 लोग काम कर रहे थे।
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13.5 किमी अंदर पहुंचने के बाद अचानक छत गिर गई।
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42 मजदूर सुरक्षित बाहर आ गए, लेकिन 8 लोग फंस गए।
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इनमें 6 जयप्रकाश एसोसिएट्स और 2 अमेरिकी कंपनी के कर्मचारी हैं।
44 किमी लंबी इस सुरंग से श्रीशैलम प्रोजेक्ट से पानी लाकर नलगोंडा जिले की 4 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होगी। अभी तक 34.5 किमी काम पूरा हो चुका है, जबकि 9.5 किमी का कार्य शेष है।
Author: Sweta Sharma
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