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संरक्षण के बावजूद 2023 में बाघों की मौत चिंताजनक

चंद्रकांत परगिर की रिपोर्ट

निमली (अलवर) भारत में बाघ संरक्षण के तमाम प्रयासों के बावजूद 2023 में बाघों की मौतों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई। “भारत के पर्यावरण की स्थिति 2025” रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में कुल 200 बाघों की मौत दर्ज की गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक असामान्य और गंभीर उछाल है। इस बढ़ती संख्या ने वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से लेकर 2023 तक बाघों की मौतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला, लेकिन 2023 में यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला रहा।

बाघों की मौत के आंकड़े (2019-2023):

2019: कुल 96 बाघों की मौत हुई, जिनमें 45 प्राकृतिक कारणों से और 27 मामलों की जांच लंबित रही।

2020: 106 बाघों की मौत दर्ज की गई, जिनमें 53 मौतें अप्राकृतिक लेकिन अवैध शिकार नहीं थीं।

2021: कुल 124 बाघों की मौत हुई, जिनमें 35 प्राकृतिक कारण और 10 अवैध शिकार के मामले सामने आए।

2022: 160 बाघों की मौत दर्ज हुई, जिनमें 20 प्राकृतिक और 15 अवैध शिकार के मामले थे।

2023: रिकॉर्ड 200 बाघों की मौत हुई, जिनमें 73 मौतें प्राकृतिक कारणों से और 72 मामले जांच के दायरे में हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से हर साल बाघों की एक बड़ी संख्या की मौत का सही कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। 2023 में 72 मौतें जांच के दायरे में हैं, जो बताता है कि इन मौतों के पीछे की वजहों का अभी तक सही आकलन नहीं हो सका है।

हालांकि, अवैध शिकार के मामले कुछ हद तक नियंत्रित हुए हैं, लेकिन फिर भी 2023 में 12 बाघों की मौत अवैध शिकार के कारण हुई। इसके अलावा, वन्यजीव विभाग ने 4 बाघों की जब्ती की है, जो इस बात का संकेत है कि बाघों के अंगों की तस्करी की गतिविधियां अब भी जारी हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, बाघों की बढ़ती मौतों के पीछे प्राकृतिक आवासों की कमी, इंसानों द्वारा जंगलों का अतिक्रमण, जलवायु परिवर्तन और अवैध शिकार जैसी समस्याएं जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, कई मामलों में जहर देने, बिजली के करंट और मानव-बाघ संघर्ष जैसी घटनाएं भी बाघों की मौत का कारण बनती हैं।

सरकार और वन विभाग बाघों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। बाघ संरक्षण के लिए विशेष निगरानी दल, कैमरा ट्रैपिंग और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके, बाघों की मौतों में हो रही वृद्धि इस दिशा में और सख्त कदम उठाने की जरूरत को उजागर करती है।

भारत बाघों की आबादी के लिए एक प्रमुख देश है, और यहां बाघ संरक्षण न केवल जैव विविधता के लिए बल्कि पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी जरूरी है। ऐसे में, 2023 में हुई बाघों की मौतों के पीछे के अज्ञात कारणों की गहन जांच, अवैध शिकार की रोकथाम और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

मध्य प्रदेश के बालाघाट वन क्षेत्र में एक और बाघ मृत मिला

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Author: Admin Desk

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