नई दिल्ली। किसी को भी मियां-तियां या पाकिस्तानी कहना गलत और आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसा कहे जाने पर धार्मिक भावनाएं आहत होने का केस दर्ज नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह मंगलवार को अहम फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी 80 साल के एक शख्स के खिलाफ दर्ज केस को खारिज करते हुए की। बुजुर्ग पर आरोप था कि उन्होंने एक व्यक्ति को मियां-तियां और पाकिस्तानी कह दिया था। इससे उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं और उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। लेकिन उस केस को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने खारिज किया।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, बुजुर्ग पर आरोप है कि उन्होंने मियां-तियां और पाकिस्तानी कहकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। निसंदेह उनकी टिप्पणी खराब है और गलत तरीके से की गई। लेकिन इससे उस व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होतीं। यह मामला झारखंड के बोकारो का है, जहां के एक उर्दू अनुवादक मोहम्मद शमीमुद्दीन ने आरोप लगाया था कि बुजुर्ग ने उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। शमीमुद्दीन ने 80 साल के हरि नारायण सिंह पर यह आरोप लगाकर कहा था कि उनकी बातों से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
बुजुर्ग के खिलाफ जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। जुलाई 2021 में मजिस्ट्रेट ने मामले का संज्ञान लेकर बुजुर्ग को समन जारी किया। इसके बाद बुजुर्ग ने एडिशनल सेशन जज का रुख किया, लेकिन राहत नहीं मिली। फिर उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दायर की। वहां से भी राहत न मिलने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जहां से बुजुर्ग को राहत मिल गई है।
