प्रयागराज। पूरे विश्व में तमाम शिव मंदिरों की अपनी अलग अलग मान्यताएं हैं। इसी प्रकार जिले में एक ऐसा भी शिवमंदिर है जहां लोग बंद किस्मत का ताला खोलने के लिए मंदिर में ताला बंद करते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद तालों को खोल देते हैं।
बता दें कि प्रयागराज जिले में स्थित यह शिवमंदिर करीब 500 वर्ष पुराना है। जमीन से करीब 5 फिट गहरे में बना मंदिर बिल्कुल अलौकिक और रहस्य से भरा हुआ है। इस मंदिर के चारों तरफ लोग ताले बंद करते हैं। इस मंदिर में बंद किये गये तालों का रहस्य काफी पुराना है। मंदिर के चारों ओर बनी खिड़कियों और दरवाजों पर लोग बड़ी संख्या में ताले बंद करते हैं। लोगों की आस्था और विश्वास को लेकर इस मंदिर में भारी भीड़ जुटती है। शहर के काफी व्यस्ततम इलाके में गली के अंदर बनी इस मंदिर नाथेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर के महंत शिवम मिश्रा बताते है कि यह मंदिर करीब पांच सौ साल से अधिक पुरानी है। यह मंदिर जमीन के पांच फिट गहराई में बनी है। इस मंदिर में एक छोटा सा शिवलिंग विराजमान है। जो नाथेश्वर महादेव की है। इस मंदिर के अंदर विराजमान शिवलिंग को नाथ सम्प्रदाय ने स्थापित किया था। इस मंदिर में स्थापित शिव को ताला वाले महादेव भी कहते है।
नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। इसके अलावा इस सम्प्रदाय में अनेक गुरु हुए जिनमें गुरु मच्छिन्द्रनाथ /मत्स्येन्द्रनाथ तथा गुरु गोरखनाथ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। नाथ सम्प्रदाय समस्त देश में बिखरा हुआ था। गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं। नाथ सम्प्रदाय में योगी और जोगी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक जो सन्यासी जीवन और दुसरा गृहस्थ जीवन हैं।
सन्यासी, योगी, जोगी, नाथ, अवधूत, कौल, कालबेलिया, गोस्वामी (बिहार), उपाध्याय (पश्चिम उत्तर प्रदेश में), नामों से जाना जाता है। इनके कुछ गुरुओं के शिष्य मुसलमान, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के भी थे।
