ब्रिटेन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के काफिले पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला करने की कोशिश की। गुरुवार को लंदन के चैथम हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में खालिस्तानी प्रदर्शनकारी एकत्रित हो गए। जब जयशंकर बाहर निकले, तो एक प्रदर्शनकारी सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए उनकी कार तक पहुंच गया। इसके अलावा, खालिस्तान समर्थकों ने उनकी कार रोकने की भी कोशिश की।
ब्रिटिश संसद में उठा मुद्दा
इस घटना पर ब्रिटेन में भी कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली। ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने इसे खालिस्तानी गुंडों की करतूत बताया और ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मुद्दे को उठाया।
वहीं, भारत ने भी ब्रिटेन में बढ़ते खालिस्तानी उग्रवाद पर चिंता जताई।
ब्रिटेन में खालिस्तानी समर्थन की जड़ें कितनी गहरी?
ब्रिटेन में सिख समुदाय की आबादी 5.25 लाख से अधिक है, जो वहां की कुल जनसंख्या का करीब 1% है। बर्मिंघम और ग्रेटर लंदन जैसे इलाकों में खालिस्तान समर्थकों के गुट सक्रिय हैं।
खालिस्तान आंदोलन ब्रिटेन तक कैसे पहुंचा?
- 1960 के दशक में पंजाब में जगजीत सिंह चौहान ने अलग खालिस्तान की मांग उठाई।
- 1971 में पाकिस्तान ने चौहान से संपर्क किया और उन्हें समर्थन दिया।
- 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खालिस्तानी उग्रवाद बढ़ा।
- ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका में कट्टरपंथियों ने फंडिंग और समर्थन जुटाया।
ब्रिटेन में हाल ही में उग्र प्रदर्शन क्यों बढ़े?
- चरमपंथी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) लगातार खालिस्तान जनमत संग्रह की कोशिश कर रहा है।
- हालिया दिनों में ब्रिटिश गुरुद्वारों में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने की खबरें आई हैं।
- भारत ने 2015 में ब्रिटेन को एक डोजियर सौंपा था, जिसमें इन गतिविधियों की जानकारी दी गई थी।
ब्रिटेन में खालिस्तानी गतिविधियों का बढ़ना भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है, और अब इस पर ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

Author: Sweta Sharma
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