लखनऊ। हीमोफीलिया एक गंभीर रक्तस्राव विकार है, जिसका समय पर निदान न होने पर जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसी विषय पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पैथोलॉजी विभाग द्वारा 20 मार्च को कोएगुलेशन अपडेट में सीएमई का आयोजन किया गया। इसके बाद 21 और 22 मार्च को एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें चिकित्सकों, पैथोलॉजिस्टों और रोगियों के बीच हीमोफीलिया के शुरुआती लक्षणों, निदान और प्रबंधन को लेकर व्यापक जागरूकता फैलाई गई। इस कार्यक्रम में आसपास के शहरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और डायग्नोस्टिक केंद्रों से बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह कार्यशाला इंडियन सोसाइटी ऑफ हेमेटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISHBT) और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC) वेल्लोर के प्रोफेसर सुकेश नायर के सहयोग से संपन्न हुई। इसके अलावा, संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (SGPGI) और पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) चंडीगढ़ के अतिथि वक्ताओं ने भी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। इस कार्यक्रम में पूरे भारत से 170 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उद्घाटन समारोह में माननीय कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, प्रोफेसर तथागत चटर्जी, प्रोफेसर सुरेश बाबू और आयोजन सचिव डॉ. रश्मि कुशवाह मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से पूरे भारत के 40 प्रतिभागियों को हीमोफीलिया के निदान और उसके उपचार की आधुनिक प्रक्रियाओं पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों और लैब तकनीशियनों को इस प्रकार तैयार करना है कि निकट भविष्य में सभी सीएचसी और पीएचसी स्तर पर हीमोफीलिया का सटीक और त्वरित निदान संभव हो सके। इससे इस गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को समय पर उचित उपचार मिल सकेगा और उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा।
Author: Sweta Sharma
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