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पुलिस की पिटाई से नाबालिक ने तोड़ा दम

बेटे के मौत मामले में पिता ने किया दोषी पुलिस कर्मियों के बर्खास्तगी की मांग

बस्ती। जिले के दुबौलिया थाने में एक 17 वर्षीय आदर्श उपाध्याय को पुलिस ने इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। जिससे आज फिर एक असहाय, लाचार और गरीब मां के लाल को वर्दी में छिपे भेड़िए ने निगल लिया। पुलिसिया पिटाई से हुई मौत का मामला अब जोर पकड़ता जा रहा है। बुधवार को दुबौलिया थाना क्षेत्र के उभाई निवासी आदर्श के पिता ओम प्रकाश उपाध्याय ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को पत्र देकर मांग किया कि उनके बेटे के मौत के मामले में दुबौलिया थानाध्यक्ष के साथ ही सभी दोषी पुलिस कर्मियो को बर्खास्त कर डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम का वीडियो ग्राफी कराया जाय।

पत्र में ओम प्रकाश उपाध्याय ने कहा है कि उनके 16 वर्षीय नाबालिग बेटे आदर्श को दुबौलिया पुलिस बिना परिजनों को सूचित किये 24 मार्च की शाम को थाने पर ले गई और उसे मारा पीटा, धमकाया और कुछ कागजात पर हस्ताक्षर कराने के बाद 25 मार्च को उसके विरूद्ध किसी के शिकायती पत्र का हवाला देकर मुकदमा पंजीकृत किया। दुबौलिया पुलिस ने बेटे के रिहाई की मांग को लेकर 5 हजार रुपये की मांग किया। बाद में उनकी पत्नी को बुलाकर बेटे को छोड़ दिया। जब आदर्श थाने से घर पहुंचा तो उसे खून की उल्टी होने लगी। उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हर्रैया ले जाया गया। चिकित्सकों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुये उसे रेफर कर दिया। इसके पहले कि इलाज के लिये कहीं और ले जाते की उसकी मौत हो गई। उसकी मौत पुलिसिया उत्पीड़न, आन्तरिक चोट से हुआ है। उसके बेटे के मौत के जिम्मेदार दुबौलिया थानाध्यक्ष, पुलिस कर्मी हैं जिन्होंने बिना विधिक प्रक्रिया के उसे 24 घंटे से अधिक समय तक थाने पर बैठाये रखा और मारा पीटा।
न्याय की मांग को लेकर पत्र देते समय ओम प्रकाश उपाध्याय के साथ चन्द्रमणि पाण्डेय ‘सुदामा’, अच्युतानन्द तिवारी, धर्मेन्द कुमार, सुनील सिंह, विजय शंकर आदि शामिल रहे।

विधायक अजय सिंह ने उठाये पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल

विधायक अजय सिंह ने पुलिस द्वारा की गई कथित पिटाई पर प्रतिक्रिया दी है। अजय सिंह का कहना है कि पुलिस की बर्बरता और अत्याचारों के खिलाफ समाज को आवाज उठानी चाहिए, और इसे लेकर उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विधायक अजय सिंह का कहना है कि अगर पुलिस इस तरह के व्यवहार को बढ़ावा देती है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया और कानून व्यवस्था के लिए खतरनाक हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस का दमनकारी रवैया आम जनता के लिए खतरा बन गया है और इसे जल्द ही रोका जाना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर मीडिया जगत से बातचीत की, अगर पुलिस को ऐसे अधिकार दिए जाएंगे, तो वे बिना कारण किसी भी व्यक्ति को पीट सकते हैं। लोकतंत्र में यह नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जांच हो और जरूरत पड़ी तो कोर्ट का रुख करेंगे। अगर पुलिस को ऐसे अधिकार दिए जाएंगे, तो वे बिना कारण किसी भी व्यक्ति को पीट सकते हैं। लोकतंत्र में यह नहीं होना चाहिए।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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