लखनऊ के पारा स्थित निर्वाण आश्रय केंद्र में चार बच्चों की मौत हो गई है। इनमें दो बच्चियां शामिल हैं। यहां रह रहे 35 बच्चों की तबीयत अचानक खराब हो गई, और उन्हें उल्टी तथा दस्त की समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से 20 बच्चों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। बच्चों की मौत की खबर फैलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया और जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला?
निर्वाण आश्रय केंद्र में इस समय 147 बालिकाएं रह रही थीं, जिनमें से 20 की तबीयत बिगड़ी। यह आश्रय केंद्र उन बालिकाओं के लिए है, जो मानसिक रूप से कमजोर और अनाथ हैं। रविवार से बच्चों की तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई, जिसमें उल्टियां और दस्त की समस्या सामने आई। बच्चों के स्वास्थ्य में गिरावट के बाद उन्हें तुरंत लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती होने के बाद एक बच्ची की मौत मंगलवार को और दूसरी की मौत बुधवार को इलाज के दौरान हो गई।
मौत का कारण और इलाज की स्थिति
मृत बच्चों की उम्र लगभग 13 वर्ष थी। डीपीओ विकास सिंह के अनुसार, डॉक्टरों से संपर्क में हैं और बच्चों का इलाज जारी है। चिकित्सकों की जांच में डिहाइड्रेशन और फूड पॉइजनिंग की आशंका जताई जा रही है, लेकिन मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। अब तक कुल 20 बालिकाओं को अस्पताल में भर्ती किया गया है, जिनमें से 4 की मौत हो चुकी है। बाकी बच्चों का इलाज जारी है, और चार बच्चों को डिस्चार्ज भी कर दिया गया है।

प्रशासन की कार्रवाई
बच्चों की मौत के बाद जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, ताकि मौत के सही कारण का पता चल सके। इसके साथ ही विभागीय जांच की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीएम ने यह सुनिश्चित करने के लिए जांच के आदेश दिए हैं कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की उचित व्यवस्था की जाए।
बच्चों के स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना राजधानी लखनऊ के एक आश्रय केंद्र में हुई है, जहां मानसिक रूप से कमजोर और अनाथ बच्चों को सुरक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि, इस घटना ने बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन अब इस मामले की तहकीकात कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस प्रकार की घटना भविष्य में दोबारा न हो। आश्रय केंद्र की जिम्मेदारी है कि वहां रह रहे बच्चों की भलाई और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके।
Author: Sweta Sharma
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