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योजना विभाग द्वारा वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ जी की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ उत्तर प्रदेश वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है। इस दृष्टिकोण को और गति देने के प्रयास में प्रदेश सरकार के योजना विभाग द्वारा ‘आर्थिक विकास के सर्वाेत्तम प्रयास, उत्तर प्रदेश के लिए आगे की राह’ विषय पर एक दिवसीय उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष, डॉ. राजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश में विकसित भारत @2047 की परिकल्पना को साकार करने वाला भारत का ग्रोथ इंजन बनने की अपार संभावनाएं हैं। वर्तमान में राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) ₹25.48 लाख करोड़ (310 अरब डॉलर) है, जो वर्ष 2024-25 में ₹30 लाख करोड़ (380 अरब डॉलर) तक पहुँचने का अनुमान है। विगत दशक में राज्य ने 10.8% की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की है।

डॉ. कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनसांख्यिकीय शक्ति 56% युवा कार्यबल और मजबूत कृषि क्षेत्र है जो राज्य की अर्थव्यवस्था में 25% से अधिक का योगदान देता है। उन्होंने इसे राज्य की विकास यात्रा का मजबूत आधार बताया। राज्य गेहूं, गन्ना और आलू जैसे प्रमुख फसलों के उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि राज्य को उत्पादकता वृद्धि और आधुनिकीकरण की दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे ताकि वह उच्च उत्पादकता वाले राज्यों से प्रतिस्पर्धा कर सके। इसके साथ ही डॉ कुमार ने कहा कि प्रदेश के जिलों को आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनाया जाना चाहिए और निर्यात योजना का केंद्र बिंदु होना चाहिए। बॉटम-अप अप्रोच यानी किसानों और स्थानीय उत्पादकों के साथ सीधा संवाद करते हुए नीतियों का निर्माण, राज्य की छिपी संभावनाओं को उजागर कर सकता है। इसके लिए स्थानीय डेटा प्रणाली को मजबूत करना और उद्योग, सरकार और उत्पादकों के बीच सहयोग के लिए जिला स्तर पर मंच स्थापित करना आवश्यक है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कम मूल्य, अधिक मात्रा वाले उत्पादों से हटकर उच्च मूल्य वाले वैश्विक मांग के अनुरूप उत्पादों की ओर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है- विशेषकर उत्तर प्रदेश की भू-अवरोधित स्थिति को ध्यान में रखते हुए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राज्य को प्रमुख जिलों में एंकर फर्मों के साथ निर्यात केंद्र स्थापित करने चाहिए। वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने हेतु लक्षित नीतिगत सुधार किए जाने चाहिए। वियतनाम की निर्यात-आधारित रणनीति से सीख ली जानी चाहिए तथा रासायनिक कृषि से शून्य-रासायनिक कृषि को प्रोत्साहन देना चाहिए।
कार्यशाला का समापन गहन विचार-विमर्श, सहभागी विकास के लिए रोडमैप प्रस्तुति के साथ हुआ। कार्यशाला में कृषि उत्पादन आयुक्त, श्रीमती मोनिका एस0गर्ग, मुख्यमंत्री के सलाहकारगण, प्रमुख सचिव (उद्योग, योजना, परिवहन, श्रम, ऊर्जा, आईटी एवं ई-सेवाएं) सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, थिंक टैंक और परामर्श संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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