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नवरात्रि में नहीं बंद होते थावे भवानी मंदिर के कपाट, रहषु भगत के दर्शन के बिना पूजा अधुरी

संजय मिश्र की रिपोर्ट

नवरात्रि के पावन पर्व पर मां थावे भवानी का मंदिर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहता है। बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। थावे भवानी मंदिर न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।

हथुआ राज की कुलदेवी हैं थावे भवानी

थावे भवानी मंदिर हथुआ राज की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित है। नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा-अर्चना होती है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि की अष्टमी की मध्य रात्रि को राजा और रानी खुद महानिशा पूजा करते हैं। इस दौरान राज परिवार की ओर से महाभोग और बलि का आयोजन किया जाता है। मंदिर के पुजारियों की सभी व्यवस्था भी राज परिवार की ओर से ही की जाती है।

नवरात्रि में नहीं होते कपाट बंद

सामान्य दिनों में रात्रि आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन नवरात्रि के दौरान कपाट बंद नहीं होते। भक्तगण रात-दिन मां के दर्शन करते रहते हैं। सोमवार और शुक्रवार के दिन विशेष रूप से भारी भीड़ रहती है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, जिनमें झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल के लोग प्रमुख हैं। थावे भवानी मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक अद्भुत कथा है। कहा जाता है कि राजा मनन सिंह ने मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त होने का दावा किया था। एक बार उनके राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। उस समय थावे में एक सच्चा भक्त रहषु था, जो दिन में घास काटता और रात में बाघों को जोतकर दौनी करता था। मां भवानी की कृपा से घास से अन्न निकलता था, जिससे लोगों को अनायास भोजन मिलने लगा।

राजा ने रहषु की परीक्षा लेने के लिए मां को बुलाने का आदेश दिया। रहषु ने राजा से प्रार्थना की कि मां का आगमन विनाशकारी होगा, लेकिन राजा ने उसकी बात नहीं मानी। अंततः मां भवानी कामाख्या से चलकर थावे आईं और रहषु का मस्तक फाड़कर कंगनयुक्त हाथ का दर्शन दिया। देखते ही देखते राजा के सभी महल धराशायी हो गए और राजा की मृत्यु हो गई।

रहषु भगत के बिना अधूरी मानी जाती है पूजा

थावे मंदिर से कुछ ही दूरी पर भक्त रहषु का मंदिर है। मान्यता है कि रहषु के दर्शन के बिना मां सिंहासिनी की पूजा अधूरी मानी जाती है। मां थावे भवानी को ‘रहषु भवानी’ के नाम से भी जाना जाता है। गोपालगंज जिले के मुख्यालय से मंदिर के लिए टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं। एनएच-531 पर स्थित यह मंदिर राज्य के प्रमुख मार्गों से जुड़ा है। नजदीकी रेलवे स्टेशन थावे जंक्शन है। मंदिर परिसर के पास ठहरने और भोजन की अच्छी व्यवस्था है।

थावे भवानी मंदिर में आस्था और चमत्कार का अनोखा संगम है। यहां आने वाले श्रद्धालु मां के दर्शन के साथ-साथ भक्त रहषु के भी दर्शन करना नहीं भूलते, क्योंकि उनके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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