हनुमान जयंती का पावन पर्व इस बार विशेष ज्योतिषीय संयोगों और ग्रहों के परिवर्तन के बीच शनिवार, 12 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अप्रैल की अर्द्धरात्रि 3:22 बजे से प्रारंभ होकर 12 अप्रैल को अर्द्धरात्रि 5:41 बजे तक रहेगी। वहीं, हनुमान जयंती का व्रत शनिवार को रखा जाएगा और स्नान-दान की पूर्णिमा 13 अप्रैल रविवार को होगी।
इस बार हस्त नक्षत्र 11 अप्रैल को दोपहर 3:11 बजे से 12 अप्रैल की शाम 6:08 बजे तक रहेगा, जिसके बाद चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा। खास बात यह है कि हनुमान जयंती का पर्व शनिवार के दिन है, जो कि शनि ग्रह से संबंधित दिन है, और भगवान हनुमान को शनिदेव के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला देवता माना जाता है। ऐसे में यह दिन दुर्लभ पुण्य देने वाला बन गया है।
हनुमान जयंती पर पूजा की विधि:
ब्राह्म मुहूर्त में स्नान करके भगवान हनुमान की घी, सिन्दूर, चमेली के तेल, पुष्प और तुलसी से पूजन करें। नैवेद्य में बूंदी, बेसन के लड्डू, पेड़ा, चना, गुड़, नारियल और मौसमी फल चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप के साथ आरती करें और “ॐ श्री हनुमते नमः” मंत्र का जप करें। रात्रि जागरण करके हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, हनुमत सहस्रनाम, रामचरितमानस का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान हनुमान ब्रह्म स्वरूप भगवान शिव के रुद्रावतार हैं। उनमें इंद्र, सूर्य, यम, ब्रह्मा और विश्वकर्मा की शक्तियां समाहित हैं। अमरता का वरदान प्राप्त हनुमान सभी भक्तों के संकटों को हरने वाले देव हैं।
शनि की साढ़ेसाती और अढ़ैया से ग्रस्त जातकों के लिए यह पर्व विशेष फलदायक होता है। ऐसे जातकों को विशेष रूप से व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।
हनुमान शब्द के गूढ़ अर्थ को समझाते हुए ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि ‘ह’ शिव, ‘नु’ पूजन, ‘मा’ लक्ष्मी-नारायण और ‘न’ बल का प्रतीक है। अतः हनुमान जी की आराधना से बल, बुद्धि और भक्ति तीनों की प्राप्ति होती है।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.