– 10 राज्यों से जुटे 5000 से ज्यादा कर्मचारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में एक विशाल महारैली आयोजित की गई। यह रैली लखनऊ स्थित फील्ड हॉस्टल में हुई, जिसमें देशभर के 10 राज्यों से आए 5000 से अधिक बिजली कर्मचारी और अभियंता शामिल हुए। यह विरोध प्रदर्शन मुख्यतः पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ था। कर्मचारियों ने इसे जनविरोधी और कर्मचारी विरोधी कदम बताते हुए सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।

इस आयोजन का नेतृत्व नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने किया। इसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, लद्दाख, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश से प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बड़ी भीड़ और संवेदनशील मुद्दे को देखते हुए प्रशासन ने फील्ड हॉस्टल के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया ताकि किसी भी अव्यवस्था से निपटा जा सके। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने विद्युत कर्मचारियों के साथ अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारी संगठनों और श्रम संगठनों से भी समर्थन मांगा। कर्मचारियों ने बैनर, पोस्टर और नारेबाज़ी के माध्यम से सरकार तक अपना विरोध दर्ज कराया और निजीकरण की नीति पर पुनर्विचार करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह केवल वर्तमान कर्मचारियों का मुद्दा नहीं है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, स्थायी और सार्वजनिक बिजली व्यवस्था बनाए रखने की लड़ाई है। इससे पहले भी कई बार निजीकरण के खिलाफ आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन इस बार विरोध और व्यापक और संगठित नजर आया। सरकार की ओर से इस विरोध पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन बढ़ते दबाव और संगठित प्रदर्शन को देखते हुए आने वाले दिनों में कुछ बड़ा फैसला संभव है |
Author: Sweta Sharma
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