कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों दो दिन के अमेरिका दौरे पर हैं। अपने दौरे के पहले दिन उन्होंने बोस्टन स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ एक संवाद सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र, चुनाव आयोग और महाराष्ट्र चुनाव पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता संख्या से अधिक वोट पड़े और चुनाव आयोग ने पारदर्शिता से इनकार करते हुए वीडियोग्राफी की अनुमति तक नहीं दी। राहुल गांधी के इस बयान ने देश की सियासत में उबाल ला दिया है। भाजपा ने इसे देश के लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला बताया है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तीखा हमला करते हुए कहा कि राहुल गांधी की आदत है कि वे विदेशी धरती से भारत को बदनाम करते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल और सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर हैं और ईडी की चार्जशीट में उनका नाम है। पात्रा ने चेतावनी देते हुए कहा कि वे देश को लूटने के आरोप में जेल भी जा सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी राहुल पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी की पार्टी चुनाव जीतती है, तब चुनाव आयोग और ईवीएम सही लगते हैं, लेकिन हारने पर इन्हीं संस्थानों पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या झारखंड में कांग्रेस ने किसी और चुनाव आयोग के तहत जीत हासिल की थी? भाजपा नेता सीआर केसवन ने तो इसे भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर “निंदनीय हमला” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और सैम पित्रोदा भारत को बदनाम करने की विदेश यात्रा पर हैं। केसवन ने कहा कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की एक असफल कोशिश है।
हालांकि, कांग्रेस ने राहुल गांधी का बचाव किया है। पार्टी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा, वह तथ्यों पर आधारित है। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठते सवालों को लेकर आत्ममंथन क्यों नहीं करती? राहुल गांधी का यह बयान भारत की राजनीति में एक बार फिर गहराई से बहस छेड़ चुका है कि क्या लोकतांत्रिक संस्थाएं सच में स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं?

Author: Sweta Sharma
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