प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA), 2002 के तहत महेश प्रभुदान लांगा के खिलाफ 17 अप्रैल को अहमदाबाद की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट ने उसी दिन इस पर संज्ञान ले लिया। यह कार्रवाई डीसीबी और सैटेलाइट पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई, जिसमें धोखाधड़ी, विश्वासघात और जबरन वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। ईडी की जांच में सामने आया कि अपराध से अर्जित धन का उपयोग अहमदाबाद में ऑफिस खरीदने में किया गया। ईडी ने इस संपत्ति को 9 अप्रैल को अस्थायी कुर्की आदेश के तहत जब्त कर लिया है। फिलहाल महेश लांगा न्यायिक हिरासत में हैं और जांच जारी है।
लांगा पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर ब्लैकमेलिंग, जबरन सेटलमेंट और अवैध कारोबार से लाखों रुपये की अवैध कमाई की। उन पर गोपनीय सरकारी दस्तावेज लीक करने का मामला भी गांधीनगर में दर्ज है। पिछले वर्ष क्राइम ब्रांच ने उनके घर पर छापा मारा था, जिसमें 20 लाख नकद, कीमती जेवर और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, महेश लांगा की सालाना सैलरी करीब 9 लाख रुपये थी, और उनकी पत्नी की 6.04 लाख, यानी कुल आमदनी 15.5 लाख रुपये सालाना। इसके बावजूद इतनी बड़ी नकदी, नियमित रूप से लग्जरी होटलों में ठहराव, और संपत्ति का ब्यौरा कई सवाल खड़े करता है।

Author: Sweta Sharma
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