मीडिया में संवेदनशील और उद्देश्यपूर्ण रिपोर्टिंग पर जोर
निश्चय टाइम्स, नई दिल्ली। तीन मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘आगाज़-ए-दोस्ती’ द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन सत्र में अमेरिका के ईस्ट-वेस्ट सेंटर, हवाई से जुड़े विख्यात शांति पत्रकार और विद्वान प्रो. स्टीवन यंगब्लड ने शांति पत्रकारिता के सिद्धांतों और आज के संकटग्रस्त राजनीतिक माहौल में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला। सत्र का संचालन साहिल गेरा ने किया, जबकि चर्चाकार के रूप में डॉ. देविका मित्तल उपस्थित रहीं।
यह व्याख्यान, आगाज़-ए-दोस्ती की उस शृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शांति कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को संघर्ष समाधान व शांति निर्माण की बुनियादी और समकालीन अवधारणाओं से परिचित कराना है।प्रो. यंगब्लड ने अपने व्याख्यान में स्पष्ट किया कि शांति पत्रकारिता का आशय “सिर्फ सकारात्मक खबरें दिखाना” नहीं, बल्कि ऐसी पत्रकारिता है जो संदर्भ-संवेदनशील, जिम्मेदार, और सनसनी से दूर हो। उन्होंने बताया कि मीडिया किस प्रकार भाषा, छवियों और कथानकों के ज़रिए संघर्षों को या तो भड़का सकता है या समाधान की ओर ले जा सकता है। विशेष रूप से उन्होंने छवियों के चयन में अधिक संपादकीय विवेक की आवश्यकता पर जोर दिया। इस सत्र में शांति कार्यकर्ता, पत्रकार, छात्र, और शिक्षाविदों सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रतिभागियों में इला गांधी (महात्मा गांधी की पोती), फादर सेड्रिक प्रकाश, दीपक ढोलकिया, बिलाल बशीर भट और सुसान क्रेफेल्स जैसे नाम शामिल थे।प्रतिभागियों ने इस बात पर चर्चा की कि वर्तमान “क्लिक-चालित मीडिया व्यवस्था” में शांति पत्रकारिता को कैसे टिकाऊ बनाया जा सकता है। साथ ही, इस बात पर भी जोर दिया गया कि न्यूज उपभोक्ताओं को भी मीडिया साक्षरता विकसित करनी चाहिए, ताकि वे खबरों के पीछे की नीयत और प्रभाव को समझ सकें।
Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.
								
															
			
			




