Trump की कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश पर मचा बवाल, भारत ने ठुकराया विदेशी दखल
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाज़ी से नया विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने संघर्षविराम का श्रेय अमेरिका को देते हुए कहा कि यदि शांति स्थापित नहीं होती तो लाखों लोग मारे जा सकते थे। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश भी कर दी। लेकिन भारत ने तुरंत यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई ज़रूरत नहीं है।
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने तीखा हमला करते हुए कहा कि भारत को किसी विदेशी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि, “यह जिम्मेदारी हमारी नियति है और भारत को इस चुनौती का सामना खुद करना चाहिए।” उन्होंने ट्रंप के “लाखों निर्दोष लोगों की मौत” वाले बयान को भी बेहद नाटकीय करार दिया।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि उन्हें भारत और पाकिस्तान के “साहसी नेतृत्व” पर गर्व है, जिन्होंने हिंसा को रोककर शांति कायम की। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ने इस संघर्ष को रोकने में भूमिका निभाई है और कश्मीर के समाधान के लिए भी वह काम करने को तैयार है।
हालांकि भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि संघर्षविराम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच आपसी बातचीत से तय हुआ, न कि किसी बाहरी दबाव में। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोहराया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अडिग रहेगा और तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को सिरे से नकारता है।
Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.





