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ऑपरेशन सिंदूर: आतंक पर मोदी युग की निर्णायक दस्तक

अभिलेख द्विवेदी

“जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो भारत चुप नहीं बैठता, जवाब देता है!”इसी जज्बे और बुलंद हौसले के साथ भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। एक ऐसा मिशन जिसने आतंक के अड्डों को ध्वस्त कर दिया और पूरी दुनियाको भारत की ताकत का अहसास करा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मेंभारत ने न सिर्फ सीमा पार आतंकवाद को करारा जवाब दिया,बल्कि पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश देदिया कि अब ‘सिंदूर’सिर्फ मांग में नहीं,बंदूक की बारूद में भी है!  2025की वसंत ऋतु में जब कश्मीर की घाटी खिल रही थी,तभी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों नेएक बार फिर खून की होली खेली। पहलगाम में हुआ वह भयावह हमला,जिसमें यात्रियों को निशाना बनाया गया,सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं थी;यह भारत की संप्रभुता और सहनशीलता परखुला हमला था। लेकिन इस बार जवाब बदला हुआ था: शांत भारत अब चुप नहीं बैठा। उसनेक्रोध को रण में बदला, औरऑपरेशन सिंदूर के रूप में ऐसा जवाब दिया जिसने दुनिया को चौंका दिया और पाकिस्तानको हिला दिया।22अप्रैल को हुआ हमला न सिर्फ कश्मीर बल्कि पूरे देश की आत्मा को झकझोर गया। इस हमलेमें 26निर्दोष यात्री मारे गए थे। जांच एजेंसियों ने तुरंत पाया कि यह हमला पाकिस्तानमें मौजूद आतंकी समूहों—लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद—की मिलीभगत से हुआ। यह कोईनई बात नहीं थी; दशकोंसे भारत आतंक के ऐसे गढ़ का शिकार रहा है जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तानलगातार नकारता आया है।

* मोदी सरकार की रणनीतिक दृष्टि:चेतावनी नहीं, कार्रवाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कीनेतृत्व शैली की सबसे खास बात है उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और निर्णायक सोच। इसहमले के बाद उन्होंने सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई। लेकिन यह कोई औपचारिकबैठक नहीं थी—यह भारत की नीति में बदलाव की शुरुआत थी। उन्होंने स्पष्ट निर्देशदिए: “यह सिर्फ एक सैन्य प्रतिघात नहीं होगा,यह आतंक के डीएनए को बदलने वालाप्रहार होगा।” ऑपरेशन को ‘सिंदूर’नाम देना प्रतीकात्मक था—जो रक्तरंजितहुआ,वही अब युद्ध की प्रेरणा बनेगा। सिंदूर भारतीय नारी की गरिमा है,और उसी पर हमला करना भारत की आत्मा परहमला था। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानोंकी पहचान की। इन ठिकानों को नष्ट करने के लिए सेना ने बारीकी से योजना बनाई। ऑपरेशनइतनी तेजी और गोपनीयता से किया गया कि दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिला।सेना के जवानों ने अपने साहस, प्रशिक्षणऔर आधुनिक हथियारों से आतंक के अड्डों को ध्वस्त कर दिया।

* ऑपरेशन सिंदूर: रणनीति,बल और तकनीक का त्रिवेणी संगम

7मई 2025को तड़के, भारतीयवायुसेना ने अत्याधुनिक ड्रोन और ब्रह्मोस मिसाइलों की मदद से PoKऔर खैबर पख्तूनख्वा में स्थित आतंकीप्रशिक्षण शिविरों पर हमला किया। इस पूरे अभियान में भारत ने स्वदेशी तकनीकों काप्रयोग किया — DRDO द्वाराविकसित मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिकवॉरफेयर सिस्टम और AI-आधारितलक्ष्य पहचान तकनीक।हमलों को इस तरह अंजाम दिया गयाकि एक भी नागरिक को नुकसान न पहुंचे, लेकिनआतंकियों के संरचनात्मक ठिकाने पूरी तरह ध्वस्त हो जाएं। यह भारत की सैन्य दक्षताऔर नैतिक उच्चता दोनों का परिचायक था। प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन की हर बारीकीपर नजर रखी। उन्होंने सेना को खुली छूट दी—”देश की सुरक्षा सर्वोपरि है,कोई समझौता नहीं!”

* पाकिस्तान की बौखलाहट औरअंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने तुरंत संयुक्तराष्ट्र का रुख किया और भारत पर “आक्रामकता” का आरोप लगाया,लेकिन इस बार भारत के पास न केवल सबूतथे, बल्किसमर्थन भी था। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकारकी पुष्टि की। यहां तक कि चीन, जोअक्सर पाकिस्तान के पक्ष में रहता है, इसबार संयम की भाषा बोलता दिखा। पाकिस्तान एक ओर शांति की बातें करता रहा,दूसरी ओर उसकी जमीन से आतंकी भारत परहमले करते रहे। यह दोहरा रवैया अब भारत के लिए अस्वीकार्य था। IMF द्वारापाकिस्तान को दी गई आर्थिक सहायता पर भी सवाल उठे—क्या यह धन आतंक के पोषण मेंप्रयोग हो रहा है? भारतने यह मुद्दा ग्लोबल मंच पर भी उठाया है।प्रधानमंत्री मोदी ने यह सिद्धकर दिया कि वे केवल चुनाव जीतने वाले नेता नहीं,बल्कि संकट में देश को मार्ग दिखानेवाले सेनापति हैं। मोदी ने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि सरकार हर नागरिक कीसुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उनकी अपील—”अब भारत चुप नहीं रहेगा,हर वार का जवाब देगा!”—ने जनतामें जोश भर दिया। उनके नेतृत्व में भारत ने केवल एक ऑपरेशन नहीं चलाया,बल्कि एक नई सैन्य और कूटनीतिक नीतिकी नींव रखी। उन्होंने सशस्त्र बलों को न केवल खुली छूट दी,बल्कि नैतिक समर्थन भी प्रदान किया। ऑपरेशनके बाद प्रधानमंत्री ने वैश्विक नेताओं से संवाद किया,भारत की स्थिति स्पष्ट की औरपाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने में सफलता पाई। उनका यह कथन—“भारत अबसहने वाला राष्ट्र नहीं, उत्तरदेने वाला राष्ट्र है”—देश के हर नागरिक के दिल में जोश भर गया। सोशल मीडिया पर आमनागरिकों ने एक स्वर में कहा: अब भारत बदल चुका है। इस ऑपरेशन ने भारतीय सेना कीरणनीतिक और तकनीकी क्षमता को भी उजागर किया।

 * यह युद्ध नहीं,चेतावनी थी

ऑपरेशन सिंदूर भारत की विदेश औररक्षा नीति में एक टर्निंग पॉइंट है। इसने यह स्थापित कर दिया कि भारत अब सिर्फबातों का नहीं, कामका देश है। भारत शांति चाहता है, परअब आतंक का जवाब वो अपने अंदाज़ में देगा — बिना घबराए,बिना झुके। यह भारत का नया युगहै—जहां हथियारों से पहले नीति और कूटनीति चलती है,पर जब बात देश की रक्षा की हो,तो भारत पीछे नहीं हटता। ऑपरेशनसिंदूर इस यथार्थ का जिंदा उदाहरण है।ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्यकार्रवाई नहीं, बल्किभारत के आत्मसम्मान और सुरक्षा का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केनिर्णायक नेतृत्व, सेनाकी बहादुरी और देशवासियों के समर्थन ने मिलकर यह ऐतिहासिक विजय दिलाई।”अबभारत का सिंदूर सिर्फ मांग में नहीं, दुश्मनके दिल में भी डर का रंग बन चुका है!”भारत ने स्पष्ट कर दिया कि “शांतिहमारी प्राथमिकता है, लेकिनसुरक्षा से कोई समझौता नहीं।” यह ऑपरेशन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैकि जब बात देश की हो, तोभारत एकजुट होकर हर चुनौती का सामना कर सकता है।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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