18 सितंबर, 2022 को वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर उसका शव चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया था। यह मामला पूरे उत्तराखंड और देश भर में आक्रोश का कारण बना। करीब दो साल आठ महीने की कानूनी प्रक्रिया के बाद, कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने आज इस बहुचर्चित मामले में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने तीनों आरोपियों—रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354 (शोषण) जैसी गंभीर धाराओं में दोषी करार दिया।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने दलीलें पेश कीं। कुल 97 गवाहों में से 47 को अदालत में परीक्षित किया गया। 500 पन्नों के आरोपपत्र और व्यापक गवाही के आधार पर अदालत ने 30 मई को अंतिम फैसला सुनाने की तारीख तय की थी।
कोर्ट में आज का दिन ऐतिहासिक रहा। फैसले के मद्देनज़र कोटद्वार अदालत परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों से भारी पुलिस बल, अधिकारियों और डेढ़ कंपनी पीएसी को तैनात किया गया। अदालत परिसर के 200 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू की गई है, जिसमें समूह में प्रवेश, नारेबाजी और प्रदर्शन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।
एसडीएम कोटद्वार सोहन सिंह सैनी के अनुसार, चार मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की गई है—साक्षी उपाध्याय, ज्योति शंकर मिश्रा, अजय अष्टवाल और मनोहर सिंह नेगी। यदि कोई निषेधाज्ञा का उल्लंघन करता है तो धारा 223 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अधिवक्ता और अदालत कर्मचारी इससे अछूते रहेंगे।

Author: Sweta Sharma
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