[the_ad id="4133"]
Home » इंडिया » उत्तर प्रदेश » मऊ उपचुनाव: ओम प्रकाश राजभर का दावा या बीजेपी की रणनीति?

मऊ उपचुनाव: ओम प्रकाश राजभर का दावा या बीजेपी की रणनीति?

उत्तर प्रदेश की मऊ सदर विधानसभा सीट एक बार फिर सियासी चर्चा के केंद्र में आ गई है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक अब्बास अंसारी को दो साल की सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है, जिससे इस सीट पर उपचुनाव की संभावना बन गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए में शामिल सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर इस सीट पर फिर से दावा ठोक पाएंगे या बीजेपी खुद यहां से चुनाव लड़ेगी?

अब्बास अंसारी, पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, जिन्होंने 2022 में सुभासपा के टिकट पर चुनाव जीता था। चुनाव के बाद सुभासपा ने समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़कर बीजेपी से गठबंधन कर लिया था। हालांकि अब्बास अंसारी का दावा था कि उन्हें सपा कोटे से टिकट मिला था। यही बात मऊ की सियासत को और जटिल बनाती है।

अब जबकि सजा के बाद उनकी सदस्यता समाप्त हो चुकी है, ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि चूंकि अंसारी सुभासपा के टिकट पर विधायक बने थे, इसलिए उपचुनाव में भी यह सीट उनकी पार्टी को ही मिलनी चाहिए। हालांकि वह साफ कर चुके हैं कि अंसारी परिवार के किसी सदस्य को वे टिकट नहीं देंगे।

राजनीतिक समीकरण क्या कहते हैं?
2022 के विधानसभा चुनाव में अब्बास अंसारी ने बीजेपी के अशोक कुमार सिंह को लगभग 38 हजार वोटों से हराया था। अंसारी को 1,24,691 वोट मिले थे, जबकि अशोक सिंह को 86,575 वोट। वहीं बीएसपी के भीम को 44,516 वोट मिले थे। लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में मऊ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली घोसी लोकसभा सीट पर सुभासपा को करारी हार मिली। ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को केवल 71,988 वोट मिले, जबकि सपा के राजीव राय ने 1,60,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की।

इन आंकड़ों से बीजेपी को यह कहने का मौका मिल सकता है कि मऊ में सुभासपा की पकड़ अब कमजोर हो चुकी है। ऐसे में बीजेपी यह सीट अपने पाले में लेना चाह सकती है और संभव है कि वह फिर से अशोक सिंह को मैदान में उतारे।

एनडीए में तालमेल और संभावनाएं
मऊ सीट का फैसला एनडीए के भीतर आपसी समझौते से ही तय होगा। अगर सुभासपा अपनी दावेदारी पर अड़ी रहती है, तो बीजेपी को उसे मनाना पड़ेगा या फिर समझौते के तहत कोई नया चेहरा लाया जा सकता है। हालांकि बीजेपी को यह डर भी सता सकता है कि अगर राजभर की अनदेखी की गई तो वह फिर से गठबंधन से नाराज हो सकते हैं।

क्या कोर्ट में होगी राहत की उम्मीद?
अब्बास अंसारी ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। यह भी संभव है कि सुप्रीम कोर्ट, जैसा कि राहुल गांधी और अफजाल अंसारी के मामलों में हुआ था, निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दे। लेकिन विधानसभा सचिवालय ने तेज कार्रवाई करते हुए रविवार को दफ्तर खोलकर अंसारी की सदस्यता रद्द कर दी, जिससे स्पष्ट है कि योगी सरकार उपचुनाव जल्द कराना चाहती है।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com