ट्रैफिक डायवर्जन और कुर्बानी के नियमों की गाइडलाइन भी जारी
लखनऊ: ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व राजधानी लखनऊ में पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। शहर की प्रमुख मस्जिदों में ईद की नमाज के समय तय कर दिए गए हैं। सबसे बड़ी नमाज ऐशबाग ईदगाह में सुबह 10 बजे और टीले वाली मस्जिद में सुबह 9 बजे अदा की जाएगी, जबकि आसिफी मस्जिद में पूर्वाह्न 11 बजे नमाज होगी।
अन्य प्रमुख मस्जिदों में भी समय तय है—जैसे हैदरी मस्जिद नक्खास, इमामबाड़ा आगा बाकर, मस्जिद अलवी, हमज़ा मस्जिद राजाजीपुरम, और नदवा मस्जिद जैसी जगहों पर सुबह 6 से 10:30 बजे तक अलग-अलग समय पर नमाज अदा की जाएगी।
ट्रैफिक प्लान: ईद के दिन विशेष व्यवस्थाएं
डीसीपी ट्रैफिक कमलेश दीक्षित ने बताया कि शनिवार को सुबह 6 बजे से नमाज समाप्ति तक कई मुख्य मार्गों पर यातायात प्रतिबंधित रहेगा। खास तौर पर चौक, ऐशबाग, नाका, कोनेश्वर, नीबू पार्क, खदरा, टीले वाली मस्जिद, शाहमीना और पक्का पुल जैसे इलाकों में डायवर्जन लागू रहेगा। वैकल्पिक मार्गों से जाने के लिए रकाबगंज पुल, राजाजीपुरम, मेडिकल कॉलेज और IT चौराहे की सड़कों का प्रयोग करने की सलाह दी गई है।
इमरजेंसी में फंसे वाहन (एम्बुलेंस, शव वाहन आदि) के लिए ट्रैफिक कंट्रोल रूम का नंबर 9454405155 जारी किया गया है, जिस पर कॉल करके मदद ली जा सकती है।
पूर्ण प्रतिबंधित रास्ते (सिर्फ नमाजियों के वाहन):
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नाका से ऐशबाग
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यहियागंज से ईदगाह
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मोतीझील कॉलोनी, पीली कॉलोनी, रस्तोगी कॉलेज से ऐशबाग ईदगाह
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अंजुमन चौराहा और एसएन मिश्रा आवास तिराहे से ईदगाह
धर्मगुरुओं की हेल्पलाइन सक्रिय
दारुल उलूम निज़ामिया फिरंगी महल की ओर से कुर्बानी, हज और धार्मिक मसलों पर लोगों की जिज्ञासाओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन शुरू की गई है। मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली की अध्यक्षता में एक पैनल सवालों का जवाब दे रहा है।
एक प्रश्न में पूछा गया कि यदि कोई व्यक्ति ईद की नमाज से पहले कुर्बानी कर ले तो क्या वह मान्य होगी? जवाब में बताया गया कि नमाज के बाद ही कुर्बानी करना अनिवार्य है, अन्यथा दोबारा कुर्बानी करनी होगी। वहीं, एक अन्य सवाल में पूछा गया कि यदि बकरे के कान जन्म से छोटे हैं, तो उसकी कुर्बानी जायज है या नहीं? इस पर स्पष्ट किया गया कि कुर्बानी जायज मानी जाएगी।
शांति और सद्भाव के साथ मनाएं त्योहार
लखनऊ जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि त्योहार के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था में सहयोग करें, धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखें और किसी भी प्रकार की अफवाह या विवाद से दूर रहें। त्योहार का असली मकसद कुर्बानी, सेवा, और एकता का संदेश देना है।

Author: Sweta Sharma
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