(अरविंद कांत त्रिपाठी)
मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार
निश्चय टाइम्स, लखनऊ। विदेशी धरती पर भारतीय सांसद पाकिस्तानी आतंकवाद को पूरी दमदारी, प्रामाणिकता और तार्किकता के साथ बेनकाब कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर की तकनीकी आवश्यकता और सफलता को बता रहे हैं। विदेशों में गए दलों के सांसद यद्यपि अलग-अलग दलों के हैं लेकिन उनकी यह पृथक पहचान प्रस्थान से पहले (हवाई अड्डे) तक ही थी। हवाई जहाज उड़ते ही सारे दलों की पहचान एक हो गई। सिर्फ एक – “भारतीय दल”। भारतीय सांसदों का दल। भारतीय गौरव रक्षा के मौके पर हमारा यह एकजुट-चरित्र विश्व को आश्चर्यचकित और मोहित करता है। भारत की इस “अदभुत शक्ति” को विश्व समझता है लेकिन यही बात 54 वर्षीय बालक के समझ से परे है। अथवा राष्ट्र की अस्मिता, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र की आन-बान-शान तक उसकी बौद्धिक पहुंच है ही नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च भावना और सबसे पवित्र चेतना है। जो हमेशा हर भारतीय के हृदय में झंकृत है। विदेश गए हर सांसद (क्या पक्ष, क्या विपक्ष) का एक – एक वाक्य इसका जीवंत प्रमाण है।
दुश्मन देश से भारत को आघात पहुंचाने के कठिन समय में सारे राजनीतिक दल अपने घरेलू खींचतान को भुलाकर ; एक भाषा, एक स्वर और एक लक्ष्य हो जाते हैं। कांग्रेसी सांसदों सहित अन्य विपक्षी दलों के एक-एक सांसद “बेमिसाल भारतीयता” का झंडा बुलंद करने में लगे हैं। सलमान खुर्शीद, शशि थरूर और आनंद शर्मा जैसे उच्च शिक्षित और योग्य कांग्रेसी नेता भी उक्त दलों में शामिल हैं। राहुल गांधी की बुद्धि इन नेताओं से अलग और ऊपर है। राहुल गांधी काबिल हैं या उक्त कांग्रेसी नेता ? इसे जानने के लिए इन नेताओं की शिक्षा और कार्य को जान लेते हैं।
🌑 सलमान खुर्शीद : पूर्व विदेश मंत्री। सहकारी एवं अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री। पूर्व विधि और न्याय मंत्री।
शिक्षा : ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय
(राजनेता, वकील और लेखक)।
🌑 शशि थरूर : पूर्व राजनयिक। 2009 से तिरुवनन्तपुरम से लोक सभा सांसद। वर्तमान में विदेशी मामलों में संसदीय स्थाई समिति के अध्यक्ष। विदेश मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पूर्व राज्य मंत्री। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व करियर अधिकारी के तौर पर 29 साल कार्य। साहित्यकार (उपन्यासकार)। एक प्रशंसित लेखक।
शिक्षा : टफट्स यूनिवर्सिटी (अमेरिका) से एमए और एमएएलडी। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में रॉबर्ट बी स्टीवर्ट पुरस्कार से सम्मानित। पीएचडी। पुजेट साउंड विश्वविद्यालय द्वारा एक मानद डी. लिट और बुखारेस्ट विश्वविद्यालय द्वारा इतिहास में डॉक्टरेट।
🌑 आनंद शर्मा : वाणिज्य और उद्योग तथा कपड़ा के प्रभारी पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं। राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व उपनेता। अफ्रीकी देशों के अनेक राष्ट्राध्यक्षों से व्यक्तिगत संबंध।
शिक्षा : हिमाचल विश्वविद्यालय से एम.ए.एलएलबी।
अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए विभिन्न देशों में सम्मानित व पुरस्कृत।
🌑 मनीष तिवारी : भारतीय युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष। पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री और लुधियाना से पूर्व सांसद। योग्य वकील।
🌑 राहुल गांधी : होश संभालते ही -भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस छात्र संघ के अध्यक्ष। राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चारिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी। (वर्ष 2007)
* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव महासचिव
(2007 से 2013)
* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष
( 2013 से 2017)
* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष
(2017 से 2019)
शिक्षा : हार्वर्ड विश्वविद्यालय और बाद में रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से स्नातक। कैम्ब्रिज से एम.फिल.।
कार्य : मनमोहन सिंह सरकार द्वारा संसद में बनाए गए कानून की प्रति फाड़ने, संसद में आंख मारने, सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगने, कांग्रेस के एक से बढ़कर एक जमीनी व दिग्गज नेताओं को पार्टी में हाशिए पर रखने या बाहर करने, राम मंदिर न जाने, अमेरिका और इंग्लैंड की धरती पर पहुंचकर – भारत में लोकतंत्र को खतरे में बताने तथा विश्व के बड़े लोकतांत्रिक देशों से भारतीय लोकतंत्र को बचाने का आह्वान करने, “भारत में सिखों को धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है” – ऐसा कोरा झूठ अमेरिकी समाज के सामने बोलने, वहीं पर एक सिख युवा द्वारा इस झूठ को बेनकाब करने पर बगली – झांकने, गलवान झड़प के समय देश की निगाहों से छिपकर रात के अंधियारे में चीनी राजदूत से मिलने, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान – “चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय सैनिकों की पिटाई के बारे में कोई कुछ नहीं पूछता है” – जैसी सेना पर अपमानजनक टिप्पणी करने, भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक पर भरोसा न कर सबूत मांगने और अब “आपरेशन सिंदूर” पर भारतीय सेना के अद्वितीय पराक्रम पर गर्व करने की जगह – “पाकिस्तान ने भारत के कितने फाइटर गिराए हैं” – जैसे सवाल पूछना, राष्ट्र के प्रति उनके (राहुल गांधी के) द्वारा पूछे गए अनेक गैरजिम्मेदाराना सवालों या वक्तव्यों के कुछ उदाहरण मात्र हैं।
अगर हमारे कुछ फाइटर गिरे भी हैं तो इस नए “सूचना युद्ध” के दौर में “आपरेशन जारी रहने” के दरम्यान ऐसे सवालों से बचकर वह राष्ट्रीय सुरक्षा में मददगार भी बन सकते हैं। सैन्य अभियान के दौरान अपनी सारी क्षति को न बताना हर युद्ध में, हर देश की अपने राष्ट्रीय मनोबल को बनाए रखने की
सैन्य रणनीति होती है। युद्ध (सैन्य अभियानों) को थोड़ा – बहुत जानने वाला अदना व्यक्ति भी युद्ध के इस मनोवैज्ञानिक पहलू को जानता है। बेशक, देश हिट में सरकार से सवाल पूछना अहम और आवश्यक है। पूछा ही जाना चाहिए। लेकिन उचित समय पर। जिससे सरकार (सेना) अपनी कमियों में सुधार करते हुए, भविष्य के लिए और सुदृढ़ हो सके।

अब प्रश्न है कि विपक्ष के नेता का इनमें से कौन सा कार्य, विचार या वक्तव्य है, जो राष्ट्र की समृद्धि तथा सशक्तिकरण के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण है?
विपक्ष का दायित्व अपने संरचनात्मक कार्यों, कार्यक्रमों और नीतियों से जनमत तैयार कर सत्ता पक्ष पर दबाव बनाते हुए, उसे जनहित के विरुद्ध कार्य करने से रोकना होता है। सवाल है कि विपक्ष (राहुल गांधी) का उक्त या अब तक का कौन सा कार्य (मॉडल) जनमत को मंत्रमुग्ध करने और सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने की हैसियत वाला रहा है?
एक और प्रश्न यह है कि  बतौर “नेता” राहुल गांधी के आचार – विचार से कांग्रेस प्रगति की ओर है या पतन की ओर? ध्यान रहे, कांग्रेस के जर्जर होने का अर्थ है कि राष्ट्रीय स्तर पर “विपक्ष” का कमजोर होना और विपक्ष के जर्जर होने का सीधा आशय है – प्रजातंत्र का कमजोर होना। देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था के कमजोर होने का मतलब है – शासन व्यवस्था का अराजकता और तानाशाही की ओर बढ़ना। प्रजातंत्र मंचों पर भाषण देने या पॉकेट में संविधान लेकर घूमने से मजबूत नहीं होता। अतः सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि – मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को दयनीय स्थिति की ओर ले जाते हुए “प्रजातंत्र को कमजोर” करने का कार्य कौन कर रहा है? राहुल गांधी या नरेंद मोदी?
लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद अत्यंत गौरवपूर्ण और महत्वपूर्ण होता है। मौजूदा दौर में विपक्षी नेता का ऐसा आचरण और विचार गंभीर चिंता का विषय है। राष्ट्रीय उन्नति और सुरक्षा की संकल्पनाओं के लिए अशुभ है। सत्ता पाने अथवा मोदी को हटाने के लिए घरेलू राजनीति में मोदी से वजनी होकर, मोदी से लंबी लकीर खींचने की जरूरत है, राष्ट्र की छाती पर लकीर खींचने की नहीं।… न जाने क्यों अथवा किसके दबाव? में राहुल गांधी इस सत्य को नहीं समझ पा रहे हैं कि आला से लेकर अदना (अनपढ़) तक एक-एक भारतीय अच्छी तरह जानता है कि उसके हर आचरण को देश सहन कर सकता है, लेकिन राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय अस्मिता के विरुद्ध लगने वाले किसी आचरण को नहीं। ऐसा करने वाला व्यक्ति किसी जाति, धर्म या स्तर का हो राष्ट्र ने उसे कलंकित घोषित करके हमेशा के लिए त्याग दिया है। इतिहास में जयचंद और मीरजाफर आदि इसी तथ्य के उदाहरण हैं।
								
															
			
			




