मुख्यमंत्री की मंजूरी के इंतजार में फंसी फाइलें
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में इस वर्ष का स्थानांतरण सत्र गहरी खींचतान और प्रशासनिक गतिरोध की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विभागीय स्थानांतरण संबंधी सभी फाइलें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेज दी हैं, जिनकी मंजूरी के बाद ही आगे की कार्रवाई संभव होगी।
यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब विधायकों और माननीय जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों को तबादला प्रक्रिया में अनदेखा किया गया। सूत्रों के अनुसार, खासकर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) की सूची पर शासन और उप मुख्यमंत्री के बीच सहमति नहीं बन पाई, जिससे स्थानांतरण प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो गई। इस खींचतान की वजह से सैकड़ों कर्मचारियों, बाबुओं से लेकर CMO तक के तबादले नहीं हो पाए।
दूसरी ओर, चिकित्सा शिक्षा विभाग में कुछ हद तक प्रक्रिया आगे बढ़ी। उप मुख्यमंत्री ने विभाग से आई फाइलों को मंजूरी दी, जिसके बाद रविवार को नर्सिंग अधिकारियों और लैब टेक्नीशियनों के तबादले किए गए। उल्लेखनीय है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी भी प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा के पास है।
होम्योपैथी निदेशालय में तबादलों की वापसी
आयुष विभाग के अंतर्गत होम्योपैथी निदेशालय में हाल ही में किए गए सभी समूह ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ श्रेणी के तबादलों को रद्द कर दिया गया है। कारण—स्थानांतरण नीति का पालन न होना और प्रक्रियागत पारदर्शिता की कमी। इस पूरे मामले में लेन-देन की चर्चाएं भी सामने आई हैं। सूत्र बताते हैं कि निदेशक होम्योपैथी प्रो. अरविंद कुमार वर्मा द्वारा बड़ी संख्या में तबादले किए गए थे, जिनमें नीतियों की अनदेखी हुई। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ को जब इस बाबत शिकायतें मिलीं, तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से आदेशों को निरस्त करने के निर्देश दिए। इसके बाद निदेशक ने “अपरिहार्य कारणों” का हवाला देते हुए तबादले रद्द करने का आदेश जारी किया।
Author: Sweta Sharma
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