तेहरान और वाशिंगटन के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। अमेरिका ने ईरान पर एक बड़ा सैन्य हमला करते हुए उसके तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज और एस्फाहान – को निशाना बनाया है। इस कार्रवाई के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमले की पुष्टि की और अमेरिकी सेना को बधाई देते हुए कहा, “हमने उनके परमाणु ठिकानों पर सटीक हमला किया है। अब समय है कि ईरान शांति के रास्ते पर लौटे।”
ट्रंप ने इस हमले की जानकारी पहले ट्रुथ सोशल पर साझा की थी, जहां उन्होंने लिखा, “हमने ईरान में तीन परमाणु स्थलों पर सफलतापूर्वक हमला किया है। सभी अमेरिकी विमान सुरक्षित रूप से ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर आ चुके हैं। अब शांति का समय है!”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: सऊदी अरब ने की हमले की निंदा
इस हमले के तुरंत बाद सऊदी अरब ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी निंदा की है। सऊदी सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि “ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन अस्वीकार्य है।” साथ ही उन्होंने ईरान और इज़रायल दोनों देशों से युद्ध विराम और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है।
भारतीयों की सुरक्षित वापसी का प्रयास
ईरान-इज़रायल युद्ध और अमेरिकी हमले के बीच भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। इज़रायल ने संकटग्रस्त इलाकों से करीब 150 भारतीय नागरिकों को निकाल कर जॉर्डन की राजधानी अम्मान भेज दिया है। चार बसों के माध्यम से इन भारतीयों को सुरक्षित सीमा पार कराया गया है, जहां से उन्हें भारत लाया जाएगा।
लेबनान ने झाड़ी युद्ध से दूरी
उधर, अमेरिका की कार्रवाई के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि लेबनान भी युद्ध में कूद सकता है। हालांकि, लेबनान सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस संघर्ष का हिस्सा नहीं बनेगा और उसने युद्ध में शामिल होने से इनकार कर दिया है। इससे क्षेत्रीय टकराव में और अधिक देशों के घसीटे जाने की आशंका फिलहाल टलती दिख रही है।
Author: Sweta Sharma
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