आम आदमी को मृत मां का शव भी ले जाना पड़ा पैदल
हमीरपुर में कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-34) पर स्थित यमुना पुल की मरम्मत कार्य के दौरान नियमों की दोहरी तस्वीर सामने आई है। हर शनिवार और रविवार को पुल आम वाहनों के लिए बंद रहता है, लेकिन यह पाबंदी सिर्फ आम जनता के लिए ही है, वीआईपी वर्ग के लिए नहीं।
शनिवार सुबह 6:44 बजे सदर विधायक की कार बेरोकटोक पुल पार करती देखी गई, जबकि पुल पर पहले से मरम्मत के नाम पर आवागमन पूरी तरह बंद था। आम नागरिकों को सिर्फ पैदल चलने की अनुमति थी। वहीं, इसी पुल पर सुबह 9:30 बजे टेढ़ा गांव निवासी बिंदा, अपनी मां शिवदेवी (63) का शव कानपुर से लेकर प्राइवेट एंबुलेंस से लौटा, तो उसे पुल पार करने की अनुमति नहीं दी गई। सुरक्षा कर्मियों से कई बार मिन्नतें करने के बावजूद एंबुलेंस को अनुमति नहीं मिली। मजबूर होकर, बिंदा ने अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर एक किलोमीटर पैदल पुल पार किया।
पुल के दोनों छोर पर खड़े लोगों ने इस दृश्य को देखकर यही कहा— “नियम केवल आम आदमी के लिए हैं, वीआईपी के लिए नहीं“। बीते 21 जून को प्रमुख सचिव का काफिला भी इसी पुल से तब गुजरा था जब मरम्मत के लिए आम लोगों की आवाजाही पूरी तरह बंद थी। मरम्मत कार्य में लगे पीएनसी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर एमपी वर्मा ने कहा, “हम सिर्फ मरम्मत का कार्य करते हैं, आवागमन रोकने का जिम्मा प्रशासन का है। अगर प्रशासन आदेश देगा, तो काम रोक देंगे।”
इस घटनाक्रम ने शासन-प्रशासन की नियमों के दोहरे मानदंड को एक बार फिर उजागर कर दिया है। जहां एक ओर सत्ता और पद के बल पर वीआईपी बेधड़क नियमों से ऊपर माने जाते हैं, वहीं आम आदमी को अपने मृत परिजन के साथ भी अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

Author: Sweta Sharma
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