निश्चय टाइम्स, डेस्क। केंद्रीय राज्य मंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारत के भविष्य को आकार देने में डिजिटल शासन की परिवर्तनकारी भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” से नागरिक-केंद्रित डिजिटल इको-सिस्टम में बदलाव देश के प्रशासनिक और सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण है।
पांडिचेरी विश्वविद्यालय में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के दक्षिणी क्षेत्रीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार पिछले दशक में शुरू की गई पहलों ने न केवल सेवा वितरण को सुव्यवस्थित किया है, बल्कि विशेष रूप से दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को को सशक्त भी बनाया है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का विषय, “डिजिटल इंडिया में नागरिकों का सशक्तिकरण: प्रशासनिक, प्रबंधन और संगठनात्मक सुधार”, समावेशी विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर बढ़ती राष्ट्रीय सहमति को दर्शाता है।
आईआईपीए पुडुचेरी क्षेत्रीय शाखा और पांडिचेरी विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय में एक गवर्नेंस सेल का शुभारंभ भी किया गया। इस दूरदर्शी पहल का उद्देश्य युवा दिमागों को शासन, सुधार और राष्ट्र निर्माण के साथ सार्थक रूप से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस पहल को “छात्रों और युवा पेशेवरों के बीच पूछताछ करने, सार्वजनिक सेवा और नैतिक नेतृत्व की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक मंच” बताया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2014 से शुरू किए गए कई प्रशासनिक क्रियाकलापों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिनमें डिजिलॉकर, उमंग, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और जेएएम ट्रिनिटी (जन धन-आधार-मोबाइल) शामिल हैं, उन्होंने कार्यालय संबंधी प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने में उनकी भूमिका से अवगत कराया। उन्होंने कहा, “ये सुधार केवल प्रशासनिक उन्नयन नहीं हैं, बल्कि इनके बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक परिणाम हैं।” उन्होंने नोटरीकृत सत्यापन की जगह स्व-सत्यापन और डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन प्राप्त करने के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित होकर अपने अस्तित्व को साबित करने की आवश्यकता नहीं है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि बायोमेट्रिक और फेस-रिकग्निशन-आधारित पहचान प्रणाली जैसे सुधार मानवीय शासन में सहायक रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह केवल तकनीक को अपनाने के बारे में नहीं है, बल्कि हर भारतीय के लिए सम्मान और जीवन की सहजता सुनिश्चित करने के लिए इसे लागू करने के बारे में है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने “विकसित भारत 2047” के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए शिक्षा जगत, प्रशासन और निजी क्षेत्र के बीच अधिक सहयोग का आग्रह किया। डॉ. सिंह ने कहा, “डिजिटल इंडिया अब एक पहल नहीं है – यह इस देश में शासन की डिफ़ॉल्ट ऑपरेटिंग सिस्टम है।” उन्होंने कहा, “अगला चरण इस बात पर निर्भर करेगा कि हम महासागरों से लेकर बाहरी अंतरिक्ष तक अपने अनदेखे संसाधनों को कैसे अनलॉक करते हैं।”
