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“18वीं लोक सभा में अधिक चर्चा, कम व्यवधान: लोक सभा अध्यक्ष”

लोक सभा अध्यक्ष ने मानेसर, गुरुग्राम  में शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

निश्चय टाइम्स, डेस्क। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि संसद में बार-बार होने वाले व्यवधानों में काफी कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कार्य उत्पादकता और सार्थक चर्चा में वृद्धि हुई है। मानेसर, गुरुग्राम में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए अध्यक्ष महोदय ने कहा कि लोक सभा में सत्र देर रात तक चलते हैं और लंबे समय तक वाद-विवाद होता है, जो इस बात को दर्शाता है कि लोकतांत्रिक संस्कृति परिपक्व और जिम्मेदार हो रही है। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए नियमित बैठकें करने , सुदृढ़ समिति प्रणालियां विकसित करने और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को अपनाने का आह्वान किया। 3-4 जुलाई, 2025 को गुरुग्राम में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT), IMT मानेसर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन पूरे भारत के शहरों में भागीदारीपूर्ण शासन संरचनाओं के माध्यम से संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका पर चर्चा करने की ऐतिहासिक पहल है।
ओम बिरला ने शहरी स्थानीय निकायों में प्रश्न काल और शून्य काल जैसी सुस्थापित लोकतांत्रिक प्रथाओं को शामिल करने के महत्व पर जोर देते हुए प्रतिनिधियों को बताया कि संसद में ऐसे प्रावधानों ने कार्यपालिका को जवाबदेह बनाए रखने और जनता के सरोकारों को व्यवस्थित रूप से मुखरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बात का उल्लेख करते हुए कि नगरपालिका की कम अवधि की, अनियमित या तदर्थ बैठकें स्थानीय शासन को कमजोर करती हैं, श्री बिरला ने नियमित, संरचित सत्रों, स्थायी समितियों के गठन और व्यापक जन परामर्श का समर्थन किया । संसद की तरह, शहरी स्थानीय निकायों को भी व्यवधानों से बचना चाहिए तथा रचनात्मक और समावेशी चर्चाएं करणी चाहिए।
लोक सभा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन और सभा में प्लैकार्ड दिखाने में कमी आने से कार्य-उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जनता की धारणा बदली है और बेहतर कानून बनाने में मदद मिली है। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि व्यवधान लोकतंत्र की मजबूती को नहीं दर्शाते, बल्कि इसे कमजोर करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संवाद, धैर्य और गहन चर्चा के माध्यम से ही लोकतंत्र फलता-फूलता है।ओम बिरला ने शहरी स्थानीय निकायों से उत्कृष्टता, निष्ठा और नवाचार के लिए प्रयास करने का आग्रह करते हुए अपनी बात समाप्त की । उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में भारत के शहर सशक्त, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार शहरों के नेटवर्क के रूप में विकसित होंगे । ऐसे सामूहिक प्रयासों के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

 

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Author: ntuser1

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