हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में हाल ही में बादल फटने से उत्पन्न हुई आपदा ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। चौथे दिन भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों और मोबाइल नेटवर्क का पूरी तरह ठप हो जाना राहत व बचाव कार्यों में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।
सराज और थुनाग क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं। सराज में अब तक सड़क संपर्क बहाल नहीं हो सका है, जिससे राशन जैसी बुनियादी चीजें भी लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। प्रशासन द्वारा वायु और सड़क मार्ग से करीब 500 राशन किट विभिन्न राहत शिविरों और बगस्याड़ तक जरूर पहुंचाई गई हैं, लेकिन थुनाग क्षेत्र में तो सभी छोटे-बड़े पुल और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं भी बिगड़ी: सराज क्षेत्र में सड़कों के ठप हो जाने से मरीजों को पीठ या पालकी पर उठाकर स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया जा रहा है। यह स्थिति आने वाले दिनों में और गंभीर हो सकती है यदि राहत पहुंचाने की रफ्तार नहीं बढ़ाई गई।
92 छात्र-छात्राओं को बचाया गया: थुनाग क्षेत्र में फंसे औद्यानिकी एवं वानिकी कॉलेज के 92 छात्रों और उनके शिक्षकों को सुरक्षित निकालकर उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया है। ये सभी यातायात साधनों के ठप हो जाने के कारण फंस गए थे।
गोहर के स्कूल बंद, बिजली गुल: स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने गोहर क्षेत्र के सभी स्कूलों को बंद कर दिया है। मंडी जिले में 1 राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कुल 148 सड़कें बंद हैं, वहीं 353 विद्युत लाइनों की आपूर्ति ठप होने से सैकड़ों गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं। प्रशासन ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर त्वरित राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण कार्यों की गति धीमी बनी हुई है।
Author: Sweta Sharma
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