- “जनता से दूरी, विकास में देरी” – पार्षदों ने जताया आक्रोश
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मंगलवार को नगर निगम मुख्यालय उस समय विरोध का केंद्र बन गया, जब बड़ी संख्या में नाराज पार्षदों ने नगर आयुक्त के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। पार्षदों ने नगर आयुक्त पर जनता और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ नारेबाजी की और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए।
प्रदर्शन कर रहे पार्षदों ने कहा, “नगर आयुक्त अब कार्यालय का रास्ता ही भूल चुके हैं।” उनका आरोप था कि आयुक्त नियमित रूप से कार्यालय नहीं आते और जब आते भी हैं, तो आम नागरिकों और पार्षदों से मिलने से बचते हैं। इस रवैये के चलते शहर की कई विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
पार्षदों ने नगर आयुक्त पर पारदर्शिता की कमी, उत्तरदायित्व से बचने और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करने जैसे आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि कई वार्डों में कूड़ा उठाने की व्यवस्था चरमराई हुई है, जलनिकासी की स्थिति बदतर है और सड़कें अधूरी पड़ी हैं।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि नगर आयुक्त का व्यवहार और कार्यप्रणाली में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और उग्र करेंगे। पार्षदों ने यह भी मांग की कि नगर आयुक्त को जनप्रतिनिधियों से नियमित संवाद स्थापित करना चाहिए ताकि जनता की समस्याओं का समय पर समाधान हो सके।
नगर निगम प्रशासन की चुप्पी और आयुक्त की अनुपलब्धता ने एक बार फिर नगर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।






