[the_ad id="4133"]
Home » इंडिया » आईसीएआर 97वां स्थापना दिवस: केंद्रीय कृषि मंत्री का संबोधन

आईसीएआर 97वां स्थापना दिवस: केंद्रीय कृषि मंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में क्रांति हुई है-  शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा- वैज्ञानिक आधुनिक महर्षि हैं, खुद से ज्यादा दूसरों को महत्व देते हैं

पिछले 11 वर्षों में खाद्यान्न, बागवानी और दूध उत्पादन में लगातार वृद्धि

दलहन और तिलहन में उत्पादन बढ़ाने की जरूरत, वैज्ञानिक करें अनुसंधान

निश्चय टाइम्स, डेस्क। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 97वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम, एन.ए.एस.सी. कॉम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने उत्कृष्ट योगदान के लिए वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान र द्वारा उत्कृष्ट कार्य निष्पाकपुरस्कार भी वितरित किए। उत्कृष्ट महिला वैज्ञानिक, युवा वैज्ञानिक, नवाचार वैज्ञानिक सहित विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार वितरण किए गए। केंद्रीय कृषि मंत्री ने परिसर में आयोजित विकसित कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। साथ ही विभिन्न कृषि उत्पादों व प्रौद्योगिकी की जानकारी भी ली। कार्यक्रम में 10 कृषि प्रकाशनों का विमोचन किया गया। साथ ही कृषि क्षेत्र के विभिन्न समझौता ज्ञापनों का विमोचन भी किया गया।
इस कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल जाट सहित देशभर से आए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और बड़ी संख्या में किसान शामिल रहें।इस अवसर पर संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने संपूर्ण भारतवासियों की तरह से पूरी आईसीएआर की टीम को बधाई दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईसीएआर के साथ जिन देशों ने समझौता किया है और जिन देशों में भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात हो रहा है, उनकी तरफ से भी आईसीएआर को बधाई। देश के जिन 80 करोड़ लोगों को राशन उपलब्ध हो रहा है, उनकी तरफ से भी आईसीएआर बधाई का पात्र है। स्थापना दिवस गर्व का विषय है। स्थापना दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए।


शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ दुनिया का सबसे बड़ा अभियान था। इस अभियान के माध्यम से कई बातें निकलकर सामने आईं। इसके जरिए फसलवार और राज्यवार फसलों पर बैठकें करने और समाधान के प्रयास का मार्ग प्रशस्त हुआ। सोयाबीन और कपास के बाद अब गन्ने व मक्के पर भी बैठक आयोजित की जाएगी। कपास को लेकर सवाल उठा कि इतनी किस्में विकसित होने के बावजूद उत्पादन क्यों घट गया। मैं बताना चाहता हूं कि वायरस अटैक के कारण फसलें प्रभावित हो रही है, बीटी कॉटन भी वायरस अटैक की समस्या से जूझ रहा है। इस अभियान के जरिए शोध के लिए 500 विषय उभरकर हमारे संज्ञान में आए हैं, जिन पर काम किया जाएगा। अनुसंधान अब पूसा में तय नहीं होगा, खेत और किसान के हिसाब से आगे के शोध के रास्ते तय होंगे। केंद्रीय मंत्री ने आईसीएआर के महानिदेशक को ‘एक टीम-एक लक्ष्य’ की संकल्पना पर भी काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एक केंद्रित लक्ष्य के साथ वैज्ञानिकों की टीम बनाकर, किसान कल्याण के लिए कार्य करें।

कृषि मंत्री ने किसानों की तरफ से उर्वरक की जांच के उपकरण सहित विभिन्न आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के विकास की मांग को लेकर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जोत के आकार छोटे हैं, बड़ी मशीनों की जरूरत नहीं। छोटी मशीनें बनाने पर जोर देना होगा। जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने की दिशा में शोध होना चाहिए। जो विषय किसान ने दिए उस पर शोध होना चाहिए। समझौता ज्ञापन करते समय ध्यान दिया जाए कि जिन कंपनियों के साथ समझौता हो रहा है वह किस कीमत पर बीज व उत्पाद बेच रही हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस दिशा में भी आईसीएआर और कृषि विभाग को मिलकर एक साथ काम करने के निर्देश दिए। अंत में  कृषि मंत्री ने ने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि आईसीएआर के स्थापना दिवस के इस अवसर पर किसान कल्याण के लिए समर्पित होकर काम करने का संकल्प लें। मैं जानता हूं कि वैज्ञानिक आजीविका निर्वाह के लिए नौकरी नहीं करते, वैज्ञानिक का जीवन यज्ञ के समान है, जिसमें सबकी सेवा का भाव निहित रहता है। मुझे विश्वास है कि आप अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग करते हुए विकसित भारत के निर्माण में अहम योगदान करेंगे। एक बार और पूरी आईसीएआर की टीम को बहुत-बहुत बधाई।

 

ntuser1
Author: ntuser1

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com