- शिंदे गुट और भाजपा मंत्री आमने-सामने
मुंबई। महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति सरकार में एक बार फिर आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। इस बार विवाद शिंदे गुट की शिवसेना के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट और भाजपा की राज्य मंत्री माधुरी मिसाल के बीच हुआ है। मुद्दा विभागीय बैठकों के आयोजन को लेकर है, जहां दोनों नेता सार्वजनिक रूप से आमने-सामने आ गए हैं।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब माधुरी मिसाल ने विधायकों के अनुरोध पर विभागीय बैठकें बुलाईं और अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए—बिना संजय शिरसाट को सूचित किए। इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा जानबूझकर शिंदे गुट के मंत्रियों को दरकिनार कर रही है। शिरसाट ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मिसाल को एक पत्र लिखते हुए कहा, “प्रशासनिक समन्वय के लिए यह आवश्यक है कि आपकी अध्यक्षता में कोई भी बैठक मेरी पूर्व अनुमति से ही आयोजित की जाए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि विषयों के विभाजन और मंत्री-राज्य मंत्री के अधिकारों का पालन आवश्यक है।
हालांकि, भाजपा की राज्य मंत्री माधुरी मिसाल ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने जवाबी पत्र में लिखा, “राज्य मंत्री होने के नाते, मुझे विभागीय समीक्षा बैठकें आयोजित करने का अधिकार है और मैं अपनी ज़िम्मेदारियों के तहत काम कर रही हूं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन बैठकों में कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिए गए, केवल सुझाव दिए गए। मिसाल ने शिरसाट के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने के आरोपों को गलत बताया और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि वह केवल 150 दिनों के कार्यों की समीक्षा कर रही थीं। उन्होंने मार्च 2025 में मंत्री और राज्य मंत्री के बीच अधिकारों के बंटवारे के औपचारिक आदेश का भी जिक्र किया, जिसकी अभी तक मुख्यमंत्री की मंजूरी नहीं हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह टकराव महायुति में गहराते तनाव का संकेत है, जहां शिंदे गुट और भाजपा के बीच असहमति समय-समय पर सतह पर आती रही है। यह विवाद आगामी चुनावों से पहले गठबंधन के अंदर शक्ति संतुलन को लेकर चल रही खींचतान को उजागर करता है।





