गोरखपुर: अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड द्वारा चलाई जा रही स्वतः रोजगार योजना में करोड़ों रुपये के घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। यह योजना वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2015-16 के बीच स्पेशल कॉम्पोनेंट प्लान के अंतर्गत लागू की गई थी। आरोप है कि यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक, शाखा बाँसगांव, गोरखपुर के माध्यम से फर्जी लाभार्थियों के नाम पर 85 चेकों के जरिए कुल 1,12,40,000 रुपये जारी किए गए।
वास्तव में इन 85 चेकों में से सिर्फ 2 चेकों द्वारा केवल 20,000 रुपये ही वास्तविक लाभार्थियों को दिए गए, जबकि शेष रकम डाकघरों के माध्यम से कैश कराकर अभियुक्तों द्वारा गबन कर ली गई। यह धनराशि गोरखपुर के बेतियाहाता और सिविल लाइंस स्थित डाकघरों से निकाली गई।
इस फर्जीवाड़े को लेकर 21 जून 2018 को थाना कैंट, गोरखपुर में धारा 409 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद 26 दिसंबर 2018 को विवेचना ईओडब्लू (आर्थिक अपराध शाखा) को सौंप दी गई। जांच के दौरान धारा 420, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी गईं।
ईओडब्लू की कार्रवाई के तहत अब तक 7 अभियुक्तों में से 3 को गिरफ्तार किया जा चुका है और 3 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। मंगलवार को दो और आरोपियों — शैलेंद्र कुमार (पूर्व डाककर्मी) और परशुराम को गिरफ्तार कर लिया गया। शैलेंद्र कुमार पहले भी फर्जी खाते खोलकर लाखों रुपये का गबन कर चुका था और उसे वर्ष 2022 में डाक विभाग से बर्खास्त कर दिया गया था।

Author: Sweta Sharma
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