नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने युद्धविराम के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। उन्होंने कहा कि जब भारतीय सेना ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया था, तब इंदिरा गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को पत्र लिखकर युद्ध रोकने की अपील की थी।
दुबे ने यह बयान लोकसभा में राहुल गांधी के 1971 युद्ध पर दिए बयान के संदर्भ में दिया। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “राहुल गांधी ने 1971 युद्ध में इंदिरा गांधी की भूमिका को लेकर गलतबयानी की। इंदिरा गांधी ने 5 दिसंबर 1971 को अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को पत्र लिखकर युद्धविराम की गुहार लगाई थी और यहां तक कहा था कि भारत सरकार खतरे में है।”
दुबे ने इस पत्र को “इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण” बताते हुए कांग्रेस पर भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि उस समय भारत की स्थिति मजबूत थी और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने का अवसर था, लेकिन इसी दौरान अचानक युद्धविराम हो गया।
बाद में एएनआई से बात करते हुए दुबे ने कहा, “1971 का पूरा इतिहास इसी पत्र में समाहित है। उस समय लोगों को लगा था कि भारत निर्णायक जीत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन युद्धविराम कर दिया गया। यह आत्मसमर्पण की तरह था।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने मीडिया और शिक्षा प्रणाली के माध्यम से इस सच्चाई को छिपाया और एक अलग कहानी प्रचारित की। बचपन से हमें यही पढ़ाया गया कि निक्सन और किसिंजर को भारत में घुसने नहीं दिया गया, जबकि सच्चाई यह है कि इंदिरा गांधी ने अमेरिका से मदद मांगी थी।
दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर राहुल गांधी के बयान को रिकॉर्ड से हटाने और उनके खिलाफ अध्यक्षीय डायरेक्शन नियम 115 के तहत कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि या तो राहुल गांधी संसद में माफ़ी मांगें या उनके भाषण को हटाया जाए।

Author: Sweta Sharma
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